हर माता-पिता अपने बच्चों को सिखाएं ये 6 पॉजिटिव मंत्र, बच्चों में बढ़ेगा आत्मविश्वास, हर मुश्किल का करेंगे डटकर सामना
हर माता-पिता अपने बच्चों के लिए सबसे अच्छा चाहते हैं. वे चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में अच्छा करे, आत्मविश्वासी बने और हर चुनौती का डटकर सामना कर सके. लेकिन ये सिर्फ किताबों या क्लासरूम की सीख से नहीं आता. असली शिक्षा तब होती है जब बच्चे के मन और आत्मा को मजबूत बनाया जाए. आज के समय में बच्चे बहुत सी चीजों से गुजरते हैं- कॉम्पिटिशन, सोशल प्रेशर, स्ट्रेस और ओवरथिंकिंग. ऐसे में अगर उन्हें बचपन से कुछ पॉजिटिव मंत्र या छोटे-छोटे आत्मबल देने वाले वाक्य सिखा दिए जाएं, तो वे हर परिस्थिति में खुद को संभालना सीख जाते हैं. ये मंत्र न सिर्फ उनकी सोच को मजबूत बनाते हैं बल्कि उन्हें शांत, केंद्रित और आत्मविश्वासी भी रखते हैं. चलिए जानते हैं वे 6 आसान और असरदार मंत्र जो हर माता-पिता को अपने बच्चों को जरूर सिखाने चाहिए, ताकि वे जीवन की हर मुश्किल का सामना हिम्मत से कर सकें.
1. ॐ – मन को शांत और स्थिर करने वाला मंत्र
‘ॐ’ सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक दिव्य स्पंदन है. बच्चे को रोज सुबह या रात को कुछ मिनट ‘ॐ’ का उच्चारण करने की आदत डालें. इससे उनका मन शांत रहेगा और फोकस बढ़ेगा. ‘ॐ’ बोलते समय सांस पर ध्यान दिलाएं ताकि वे ध्यान और मेडिटेशन दोनों सीख सकें. इससे बच्चे का दिमाग स्थिर होता है और वे डर या गुस्से जैसी भावनाओं को काबू करना सीखते हैं.
2. “ॐ श्री महाकालिकायै नमः” – डर और नेगेटिव एनर्जी को खत्म करने वाला मंत्र
यह मंत्र मां काली को समर्पित है जो शक्ति और साहस का प्रतीक हैं. जब बच्चा यह मंत्र बोलता है, तो उसे लगता है कि कोई मजबूत शक्ति उसकी रक्षा कर रही है. यह विश्वास उसे डर और असुरक्षा से मुक्त करता है. अगर बच्चा अंधेरे में सोने या अकेले रहने से डरता है, तो सोने से पहले यह मंत्र 3 बार दोहराने को कहें. धीरे-धीरे उसका डर खत्म हो जाएगा और आत्मविश्वास बढ़ेगा.
3. महामृत्युंजय मंत्र – चिंता और नकारात्मकता से सुरक्षा का कवच
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का है जो मन को साहस और स्थिरता देता है. यह मंत्र किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच, डर या घबराहट को दूर करता है. बच्चों को यह मंत्र धीरे-धीरे एक-एक पंक्ति में सिखाएं और साथ ही उसका अर्थ भी बताएं ताकि वे समझ सकें कि यह सिर्फ शब्द नहीं बल्कि सकारात्मक ऊर्जा है. जब बच्चा इसे रोज सुने या बोलेगा तो उसके मन में आत्मबल बढ़ेगा.
4. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” – भरोसे और संतुलन का मंत्र
यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है और यह बच्चों को जीवन में बैलेंस और भरोसा रखना सिखाता है. जब बच्चा किसी चीज को लेकर परेशान या उदास हो, तो उसे यह मंत्र बोलने की आदत डालें. इससे उसे यह एहसास होगा कि हर चीज किसी न किसी कारण से होती है और सब ठीक हो जाएगा. यह मंत्र मन को शांति और सोच को सकारात्मक दिशा देता है.
5. हनुमान चालीसा – साहस और निडरता की पहचान
हनुमान जी शक्ति, साहस और समर्पण के प्रतीक हैं. बच्चों को हनुमान चालीसा धीरे-धीरे याद करवाएं या रोज सुनाएं. इससे उनमें आत्मविश्वास और निडरता आएगी. जब बच्चे डर या मुश्किल में हों, तो हनुमान जी की कहानियां जैसे लंका दहन या संजीवनी पर्वत लाने की कथा सुनाएं. इससे वे समझेंगे कि चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न आए, हिम्मत और विश्वास से हर काम मुमकिन है.
6. सकारात्मक वाक्य (Affirmation) – ‘मैं कर सकता हूं’
हर बच्चा मंत्र नहीं बोल पाता, लेकिन एक आसान अफर्मेशन सिखाना बहुत असरदार होता है. रोज सुबह या रात को उन्हें बोलने को कहें – “मैं निडर हूं, मुझमें आत्मविश्वास है और मैं यह कर सकता हूं.” ये छोटे-छोटे शब्द बच्चे के मन में बड़ा असर छोड़ते हैं. इससे उनमें आत्मविश्वास, साहस और खुद पर भरोसा बढ़ता है. मुश्किल समय में जब कोई डर या हिचकिचाहट हो, तो यही वाक्य उन्हें मजबूत बनाएगा.
बच्चों को सिर्फ पढ़ाई या ग्रेड से नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों और सकारात्मक सोच से भी मजबूत बनाया जा सकता है. अगर माता-पिता रोज कुछ मिनट इन मंत्रों या अफर्मेशन्स के लिए बच्चों के साथ बिताएं, तो उनका रिश्ता भी गहरा होगा और बच्चा मानसिक रूप से और अधिक संतुलित बनेगा.