अगर आप यूट्यूब या सोशल मीडिया से कर रहे हैं कमाई तो अब भरना होगा टैक्स
नई दिल्ली। इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर है। आईटीआर केवल एक कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि आपकी वित्तीय पहचान का हिस्सा है। यदि आप सोशल मीडिया या यूट्यूब पर कंटेंट बनाकर कमाई करते हैं, तो आपको आईटीआर भरना होगा। आज के समय में यूट्यूब और सोशल मीडिया युवाओं और पेशेवरों के लिए रोजगार का स्रोत बन चुके हैं। यूट्यूबर या सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर आईटीआर कैसे भरें और कौन सा फार्म चुनें इसकी जानकारी होना जरुरी है।
जानकारी के मुताबिक वीडियो पर आने वाले विज्ञापन, ब्रांड प्रमोशन, एफिलिएट मार्केटिंग, पेड कोलैबोरेशन या कंसल्टिंग सर्विस के जरिए होने वाली कमाई सीधे-सीधे टैक्स के दायरे में आती है। इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक यदि यूट्यूब से होने वाली कमाई आपकी मुख्य आय का स्रोत है, तो इसे बिजनेस इनकम माना जाएगा। वहीं, यदि यह आपकी सैलरी या अन्य आय के साथ केवल अतिरिक्त इनकम है, तो इसे “अन्य स्रोत से आय” की श्रेणी में रखा जाएगा।
यूट्यूब या सोशल मीडिया से होने वाली कमाई पर टैक्स दर आपकी सालाना इनकम के आधार पर तय होगी। भारत में टैक्स स्लैब सिस्टम लागू है, जहां आय बढ़ने के साथ टैक्स का फीसदी भी बढ़ता है। ऐसे में आपकी कुल आय चाहे वह सैलरी, बिजनेस या यूट्यूब से हो को जोड़कर टैक्स देयता निकलती है। यूट्यूबर और सोशल मीडिया क्रिएटर को यह जानना बेहद जरूरी है कि उनके लिए कौन-सा आईटीआर फॉर्म सही रहेगा। आईटीआर-1 केवल सैलरी से आय वालों के लिए है। आईटीआर-2 सैलरी और कैपिटल गेन से आय वालों के लिए और आईटीआर-3 बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम वालों के लिए है जिनको कैपिटल गेन भी मिलता है। आईटीआर-4 बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाली आय के लिए भरा जाता है। यूट्यूबर और इंफ्लूएंसर आमतौर पर आईटीआर-3 या आईटीआर-4 का चुनाव कर रिटर्न दाखिल करते हैं क्योंकि उनकी आय को प्रोफेशनल या बिजनेस इनकम की श्रेणी में रखा जाता है।
बता दें टैक्स फाइलिंग के समय पारदर्शिता सबसे अहम है। इसके लिए कंटेंट क्रिएटर्स को साल भर की कमाई का रिकॉर्ड रखना चाहिए। जैसे एड रेवेन्यू, स्पॉन्सर्ड वीडियो से आय, एफिलिएट लिंक से कमाई, सुपरचैट या मेंबरशिप की इनकम। इसके साथ ही, वीडियो बनाने में आया खर्च जैसे कैमरा, लाइटिंग, सॉफ्टवेयर, इंटरनेट और एडिटिंग टीम का भुगतान भी दर्ज करना जरूरी है। ये खर्च बिजनेस खर्च के रूप में क्लेम किए जा सकते हैं, जिससे टैक्स योग्य आय कम हो जाती है।
भारत में दो तरह के टैक्स रिजीम हैं– पुरानी और नई। यूट्यूबर को यह तय करना होगा कि उनके लिए कौन-सी रिजीम ज्यादा फायदेमंद रहेगी। एक बार चयन करने के बाद आईटीआर-3 या 4 भरने वाले टैक्सपेयर्स बार-बार रिजीम बदल नहीं सकते। इसलिए सोच-समझकर फैसला लें।