गुजरात दंगे में तीन ब्रिटिश नागरिकों की हत्या:हाईकोर्ट ने छह आरोपियों को किया बरी

जरात हाई कोर्ट ने गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद भड़के 2002 के दंगों के दौरान तीन ब्रिटिश नागरिकों की हत्या के मामले में छह लोगों को बरी करने संबंधी सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है। जस्टिस एवाई कोगजे और जस्टिस समीर जे दवे की खंडपीठ ने छह मार्च को यह आदेश पारित किया और यह हाल में उपलब्ध हुआ।

आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता- कोर्ट

हाई कोर्ट ने गवाहों और जांच अधिकारी के बयानों पर विचार किया और पाया कि उसे 27 फरवरी, 2015 को हिम्मतनगर में साबरकांठा के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित फैसले और बरी करने के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता।

सबुत के अभाव में किए गए बरी

इसने कहा कि सत्र न्यायालय ने बचाव पक्ष की इस दलील को स्वीकार करने से पहले साक्ष्य और एफआइआर पर विचार किया था कि गवाह द्वारा आरोपितों का दिया गया विवरण केवल उसकी ऊंचाई, कपड़ों और अनुमानित उम्र के बारे में था। यहां तक कि प्राथमिकी में भी आरोपितों का कोई विवरण नहीं दिया गया था। इसलिए, सत्र न्यायालय ने सही निष्कर्ष निकाला है कि ऐसी पहचान दोषसिद्धि का एकमात्र आधार नहीं हो सकती।सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआइटी ने 2002 में भारत दौरे पर आए तीन ब्रिटिश नागरिकों की हत्या के लिए छह व्यक्तियों मिठनभाई चंदू उर्फ प्रह्लाद पटेल, रमेश पटेल, मनोज पटेल, राजेश पटेल, प्रवीणभाई जीवाभाई पटेल और कलाभाई पटेल पर मुकदमा चलाया था। शिकायतकर्ता इमरान मोहम्मद सलीम दाऊद के अनुसार, 28 फरवरी, 2002 को वह और उसके दो रिश्तेदार सईद सफीक दाऊद और सकील अब्दुल हई दाऊद तथा एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद नल्लाभाई अब्दुलभाई असवार (सभी ब्रिटिश नागरिक) अपने चालक यूसुफ के साथ आगरा और जयपुर की यात्रा पूरी करने के बाद कार से वापस आ रहे थे।

चालक की मौके पर ही मौत हो गई

तभी शाम लगभग छह बजे भीड़ ने उनके वाहन को रोक लिया और उन पर हमला कर दिया। जब वे भागने की कोशिश कर रहे थे तो भीड़ ने असवार और स्थानीय चालक पर हमला कर दिया और उनके वाहन में आग लगा दी। चालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि असवार को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। शिकायतकर्ता के रिश्तेदारों सईद सफीक दाऊद और सकील अब्दुल हई दाऊद की भी मौत हो गई।

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