रमा एकादशी पर करें कौड़ी से जुड़ा यह छोटा-सा उपाय, बदल जाएंगे तारे-सितारे, धन समेत हर समस्या होगी दूर
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि रमा एकादशी है और इस बार यह शुभ तिथि 17 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है. रमा एकादशी का व्रत करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. कार्तिक मास की रमा एकादशी का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह एकादशी दिवाली से कुछ दिन पहले आती है और इस मास में भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के बाद जागृत होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का महत्व बताते हुए कुछ खास उपाय भी बताया गया है. एकादशी के दिन इस खास उपाय के करने से धन संबंधित समस्या दूर होगी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी मिलेगा. आइए जानते हैं रमा एकादशी का महत्व, शुभ योग, पूजा विधि…
रमा एकादशी 2025 पंचांग
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. इस दिन सूर्य दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर कन्या राशि में रहेंगे. इसके बाद तुला राशि में गोचर करेंगे और चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे.
रमा एकादशी 17 अक्टूबर
शुक्रवार को रमा एकादशी का समय 16 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 17 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगा, इसके बाद द्वादशी शुरू हो जाएगा. ऐसे में उदिया तिथि को मानते हुए 17 अक्टूबर को रमा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा.
रमा एकादशी 2025 शुभ योग
रमा एकादशी के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. रमा एकादशी के दिन शुक्ल योग और ब्रह्म योग बन रहे हैं, इन शुभ योग में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और ब्रह्म ज्ञानी की प्राप्ति भी होती है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना और दान करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती हैं और व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है.
रमा एकादशी का महत्व
ब्रह्म-वैवर्त पुराण में भगवान श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर के संवाद में रमा एकादशी की महिमा का उल्लेख है. वहीं, पद्म पुराण में इसे अत्यंत शक्तिशाली और पुण्यदायी एकादशी बताया गया है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है और धन-संपदा में वृद्धि होती है. यह व्रत आर्थिक तंगी दूर करने और वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाने के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना गया है.
रमा एकादशी पूजा विधि
रमा एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें फूल, चंदन, और धूप अर्पित करें और तुलसी पत्र और मिठाई का भोग लगाएं और घी का दीपक जलाकर श्रद्धा-भाव से भगवान की आरती करें. जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. रमा एकादशी का व्रत ना केवल आध्यात्मिक बल्कि भौतिक सुखों को भी प्रदान करता है. इस शुभ दिन पूजा और उपायों से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को समृद्ध बनाएं.
रमा एकादशी के दिन करें यह कार्य
रमा एकादशी के दिन पूजा के दौरान लाल कपड़े में पांच कौड़ियां बांधकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें और बाद में इसे तिजोरी या पर्स में रखें, इससे धन की कमी दूर होती है. साथ ही वैवाहिक जीवन में सुख के लिए तुलसी माता की पूजा करें और देसी घी का दीपक जलाएं, इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है.