ट्रेड टेबल पर अमेरिका का इन्विटेशन – VP वेंस बोले, ‘भारत बने वैश्विक साझेदार’

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने मंगलवार को भारत के साथ ऊर्जा और रक्षा के क्षेत्र में मजबूत साझेदारी की बात कही। इस दौरान उन्होंने चुनिंदा गैर टैरिफ गतिरोधों को समाप्त करने और भारतीय बाजारों को अमेरिकी कारोबारों के लिए खोलने का भी सुझाव दिया। चार दिवसीय भारत यात्रा पर आए वेंस ने दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं में प्रगति की बात स्वीकार की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ‘सख्त वार्ताकार’ करार देते हुए वार्ता के व्यापक विषयों को महत्त्वपूर्ण बताया।

वेंस ने जयपुर के राजस्थान इंटरनैशनल सेंटर में एक भाषण में कहा, ‘अमेरिका और भारत साझा प्राथमिकताओं पर आधारित व्यापार समझौते को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं और मैं यह घोषणा करते हुए उत्साहित हूं कि हमने व्यापार वार्ताओं के लिए बातचीत के दायरे को अंतिम रूप दे दिया। यह समझौता हमारे देशों के लिए बहुत अहम है।’

वेंस की इस मोटे तौर पर निजी यात्रा में उनकी पत्नी उषा वेंस और बच्चे भी साथ आए हैं। हालांकि वेंस और उनका परिवार सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी तथा कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिला। उपराष्ट्रपति की टिप्पणियां उस समय सामने आई हैं जब अमेरिका में बुधवार को भारतीय वाणिज्य विभाग के अधिकारियों और उनके अमेरिकी समकक्षों के बीच बातचीत शुरू होने वाली है। भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार और मनोनीत वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल बातचीत में हिस्सा ले रहे हैं।

दोनों देशों को उम्मीद है कि वे इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर तक साझा लाभ वाले बहुपक्षीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा कर लेंगे। उनका इरादा 9 जुलाई के पहले भी एक अंतरिम समझौते पर पहुंचने की है। 9 जुलाई को जवाबी शुल्क पर लगा 90 दिन का स्थगन समाप्त होने वाला है। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का भी इरादा रखते हैं। 

ट्रंप जहां भारत को उच्च टैरिफ वाला देश और टैरिफ किंग ठहराते रहे हैं वहीं वेंस ने ऐसे शब्द इस्तेमाल करने से परहेज बरता है। इसके बजाय उन्होंने अधिक बाजार पहुंच की मांग की और उम्मीद जताई कि अमेरिकी कंपनियों को भारत में कारोबार के समय अधिक गैर टैरिफ गतिरोधों का सामना नहीं करना होगा।

वेंस ने कारोबारी जंग छेड़ने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को आलोचना से बचाने का भी प्रयास किया। तकनीकी सहयोग और नवाचार के अलावा अमेरिका मानता है कि भारत अमेरिकी ऊर्जा निर्यात से भी लाभान्वित होगा। उस निर्यात को बढ़ाकर भारत कम लागत पर काफी कुछ हासिल कर सकता है।

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