Pitru Paksh 2018: पितृ पक्ष आज से शुरू, जान लें कैसे करें श्राद्ध
पूर्णिमा तिथि के साथ ही आज से श्राद्ध पक्ष प्रारम्भ हो गया है। सोलह दिन के लिए हमारे पितृ घर में विराजमान होंगे। अपने वंश का कल्याण करेंगे। घर में सुख-शांति-समृद्धि प्रदान करेंगे। जिनकी कुंडली में पितृ दोष हो, उनको अवश्य अर्पण-तर्पण करना चाहिए। वैसे तो सभी के लिए अनिवार्य है कि वे श्राद्ध करें। श्राद्ध करने से हमारे पितृ तृप्त होते हैं। सोमवार को पूर्णिमा है। जिन लोगों की मृत्यु पूर्णिमा को हुई है, वे सवेरे तर्पण करें और मध्याह्न को भोजनांश निकालकर अपने पितरों को याद करें।
पूर्णिमा का श्राद्ध
सोमवार को प्रात: 7.17 बजे से पूर्णिमा का प्रारम्भ हो जाएगा। इसके बाद आप पूर्णिमा का श्राद्ध कर सकते हैं। अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितृ पक्ष को समर्पित है। इन सोलह दिनों में हमारे पूर्वज हमारे घरों पर आते हैं और तर्पण मात्र से ही तृप्त होते हैं। श्राद्ध पक्ष का प्रारम्भ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होता है।
क्यों कहते हैं कनागत
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के समय सूर्य कन्या राशि में स्थित होता है। सूर्य के कन्यागत होने से ही इन 16 दिनों को कनागत कहते हैं।
श्राद्ध क्या है
पितरों के प्रति तर्पण अर्थात जलदान पिंडदान पिंड के रूप में पितरों को समर्पित किया गया भोजन ही श्राद्ध कहलाता है। देव, ऋषि और पितृ ऋण के निवारण के लिए श्राद्ध कर्म है। अपने पूर्वजों का स्मरण करने और उनके मार्ग पर चलने और सुख-शांति की कामना ही वस्तुत: श्राद्ध कर्म है।
पूर्णिमा श्राद्ध का समय ( सोमवार)
कुतुप मुहूर्त = 11:48 से 12:36 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:36 से 13:24 तक
अपराह्न काल = 13:24 से 15:48 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि को हुई हो।
(पूर्णिमा तिथि 24 सितंबर को 7.17 से प्रारम्भ होकर 25 सितंबर को 8.22 पर समाप्त होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार श्राद्ध में उदय तिथि का महत्व नहीं होता अपितु तिथि की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है। जिस दिन मृत्यु हुई हो, उस तिथि का महत्व है। तिथि पर सवेरे तर्पण और दोपहर को भोजन कराया जाना चाहिए। )