भोपाल में दिलीप बिल्डकॉन ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी, इनकम टैक्स की टीमें खंगाल रही दस्तावेज
भोपाल। देश की प्रमुख निर्माण कंपनियों में शामिल दिलीप बिल्डकॉन ग्रुप (Dilip Buildcon Group) के भोपाल स्थित दफ्तर और अन्य ठिकानों पर सोमवार को आयकर विभाग ने छापेमारी की। अमृतसर से आई विशेष टीम ने दो ठिकानों पर दस्तावेज खंगाले और वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच शुरू कर दी। दिलीप बिल्डकॉन भोपाल मेट्रो समेत देश में हजारों करोड़ रुपयों के अधोसंरचना विकास प्रोजेक्टों में निर्माण कार्य कर रही है। कंपनी के प्रमुख दिलीप सूर्यवंशी के सत्तारूढ़ दल के कई नेताओं से भी नजदीकी संबंध हैं।
भोपाल में टीम मुख्य रूप से कंपनी के चूनाभट्टी स्थित कार्यालय पर कार्य कर रही है। इसके अलावा, दिलीप बिल्डकॉन के सहयोगियों के अन्य ठिकानों पर भी विभाग ने दस्तावेज जांचने के लिए कार्रवाई की। जानकारी के अनुसार, छापेमारी का ध्यान शेयर लिस्टिंग और वित्तीय लेनदेन पर केंद्रित है। कार्रवाई के दौरान कंपनी के दफ्तर के बाहर एसएएफ के जवान तैनात किए गए थे। पूरे परिसर को सील कर दिया गया और किसी भी व्यक्ति को आने-जाने की अनुमति नहीं दी गई।
स्थानीय पुलिस और अन्य आईटी टीमों को इस कार्रवाई के बारे में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। दिलीप बिल्डकॉन की कंपनी वर्तमान में भोपाल मेट्रो के करोड़ रुपये का कार्य संभाल रही है। इसके अलावा प्रदेश में हजारों करोड़ के सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट और हाल ही में केरल तथा गुरुग्राम में भी हजारों करोड़ के बड़े प्रोजेक्ट्स का कार्य भी कंपनी के पास है।
दिलीप सूर्यवंशी ने 1988 में दिलीप बिल्डकॉन कंपनी की स्थापना की थी, जो मुख्य रूप से बड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स जैसे हाईवे, रेलवे और इन्फ्रास्ट्रक्चर के ठेके लेती है। कंपनी का काम अब देश के कई हिस्सों में फैला है और भोपाल मेट्रो का प्रोजेक्ट भी इसी कंपनी के अधीन है। शुरुआत में उन्होंने छोटे आवासीय प्रोजेक्ट, सरकारी इमारतें और पेट्रोल पंप के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। 1995 में उन्होंने इंजीनियर देवेंद्र जैन को टीम में शामिल किया, जो अब कंपनी के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी हैं।
1993-94 में उन्हें पहला बड़ा प्रोजेक्ट मिला, जिसकी लागत चार करोड़ रुपये थी। इसके बाद कंपनी ने लगातार बड़े प्रोजेक्ट्स पूरे किए, जिनमें 20 करोड़, 80 करोड़ और 120 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट शामिल हैं। 2007 से 2010 के बीच अहमदाबाद-गोधरा हाईवे के लगभग 1000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट ने कंपनी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। आज कंपनी का काम महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना सहित कई राज्यों में चल रहा है।