Rajasthan: अशोक गहलोत और सचिन पायलट दो साल बाद एक मंच पर साथ, सवाल- क्या ये नजदीकी सिर्फ उपचुनाव तक

जयपुर. राजस्थान में गहलोत पायलट की गुटबाजी और शक्ति प्रदर्शन से जूझ रही कांग्रेस के लिए राज्य में शनिवार का दिन एक उम्मीद और राहत लेकर आया. एक बार फिर से अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ, एक मंच पर, एक हेलिकॉप्टर में और एक माला में नजर आए. वह भी मुस्कुराते हुए.  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दोनों एक ही हेलिकॉप्टर में दो किसान रैलियों को संबोधित करने गए.

चॉपर में गहलोत-पायलट के साथ राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन और पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा भी साथ थे. चारों ने पहले डूंगरगढ़ मे किसान सम्मेलन को सबोधित किया फिर चितौड़गढ़ के मातृकुंडिया में. इसके साथ ही पायलट का पद-कद भी तय हो गया. भले ही पायलट लोकप्रिय हैं. वह राजस्थान में कांग्रेस में गहलोत के बाद दूसरे नंबर के प्रभाव वाले नेता हों. लेकिन पायलट अब चौथे नंबर पर रहेंगे. शनिवार के दौरे से मंच पर बैठने और रैलियों में भाषण का एक प्रोटोकोल तय हो गया. मंच पर गहलोत के एक तरफ गोविंद सिंह डोटासरा तो दूसरी तरफ अजय माकन बैठे थे. मंच पर माकन के आगे पायलट बैठे. यानी गहलोत-पायलट अब अगल बगल में नहीं बैठेंगे.

पायलट को अब चौथे नंबर से संतोष करना होगा 

दोनो के बीच अब राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन रहेंगे. माकन ही गहलोत पायलट के बीच दूरी में सेतु बने. पायलट का बैठने में क्रम चार रहेगा. भाषण का भी क्रम तय हो गया. गहलोत से पहले सचिन पायलट नहीं. गोविंद सिंह डोटासरा ने रैली को संबोधित किया. डोटासरा से पहले प्रभारी अजय माकन ने संबोधित किया. उससे भी पहले सचिन पायलट ने, यानी रैली में पायलट का ऊपर से चौथा क्रम है.

हालांकि पायलट इससे संतोष कर सकते हैं कि न वे डिप्टी सीएम है न पीसीसी चीफ. इसके बावजूद वह चौथे क्रम पर है. कम से कम गहलोत सरकार के मंत्रियों से पहले तो उनका नंबर आ ही रहा है. कुछ दिन पहले तक पायलट न सिर्फ अलग किसान रैलियां कर रहे थे. रैलियों में अपने गुट के विधायकों को एक जुटकर शक्ति प्रदर्शन कर रहे थे. इसे पायलट समर्थकों की बगावत के रुप में देखा जा रहा था.

चार सीटों पर उपचुनाव है टारगेट

राहुल गांधी के दौरे में पायलट को उचित जगह न मिलने से भी पायलट समर्थक नाराज बताए जा रहे थे.

लेकिन दो वजह ऐसी थी कांग्रेस आलाकमान ने गहलोत पायलट को साथ खड़ा कर दिया. पहली पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार का गिरना और दूसरी वजह राजस्थान में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव. चार सीटों पर उप चुनाव कांंग्रेस यदि नहीं जीत पाती है तो फिर नए संकट खड़ा हो सकता है. ऐसे में भले ही दिल न मिले हों लेकिन साथ खड़ा करना पार्टी के लिए जरुरी मान लिया.

चित्तौड़गढ़ में लगे पायलट के समर्थन में नारे 

चितौड़गढ़ के मातृकुंडिया और डूंगरगढ़ में किसान रैलिय़ों का मकसद ही चार विधानसभा उप सीटों के उप चुनाव का आगाज है. हालांकि मातृकुंडिया में रैली एनएसयूआई के युवा कार्यकर्ताओं की पायलट के समर्थन में नारेबाजी से कांग्रेस विधायक रामलाल जाट ने आपा खो दिया. नारेबाजी कर रहे युवाओं को चेतावनी दी कि नारेबाजी बंद नहीं की तो वे मंच से नीचे उतर कर ऐसा हाल करेंगे कि भागते नजर आएंगे.
 

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