काशी में बन रहा देश का पहला अर्बन रोपवे, स्विट्जरलैंड की कंपनी का काम देख आप भी कह उठेंगे वाह

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में देश की पहली अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे परियोजना का काम बहुत तेजी के साथ चल रहा है। स्विटजरलैंड की बर्थोलेट कंपनी इसका निर्माण कर रही है। यह कंपनी स्विट्जरलैंड में रोपवे का निर्माण करती रही है। स्विट्जरलैंड की तुलना में बनारस रोपवे में सेफ्टी के खास इंतजाम किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया X Hiren नामक एक एक यूजर ने इस रोपवे के निर्माण कार्य का वीडियो शेयर किया है। इसे देखकर आपको विश्‍वस्‍तरीय तकनीक का आभास होगा।

रोप पुलिंग होने के बाद कई और कार्य पूर्ण करने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्‍टेशन के निर्माण को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बर्थोलेट कंपनी के विशेषज्ञों ने सुरक्षा पर विशेष काम किया है। बिजली कटौती या दूसरी वजहों से रोप का मूवमेंट बंद होने की स्थिति में मोनो केबल डेटाचेबल गोंडोला (केबल कार) को नजदीकी स्‍टेशन तक पहुंचाने के लिए खास व्‍यवस्‍था की गई है। कैंट और रथयात्रा स्‍टेशन पर मुख्‍य मशीन के साथ ही डीजल आधारित मोटर लगाया गया है। आपात स्थित में यह ऑटोमैटिक सक्रिय हो जाएगा।

बनारस की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रोपवे प्रोजेक्ट, जानिए कब होगा शुरू
गौरतलब है कि काशी की भीड़भाड़ को देखते हुए ये रोपवे प्रोजेक्‍ट लाया गया है। 807 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजना की नींव 24 मार्च 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल पीएम की महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजना को लागू किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि ऐतिहासिक शहर में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम तेजी से हो।

काशी विश्‍वनाथ धाम के पास अंतिम स्‍टेशन का निर्माण: यात्रियों को मिलेगा नया अनुभव

हालांकि, काशी विश्वनाथ धाम के पास इसके अंतिम स्टेशन के लिए उपयुक्त स्थान मिलने में दिक्कतें आ रही थीं। वाराणसी जंक्शन (कैंट रेलवे स्टेशन), काशी विद्यापीठ और रथयात्रा समेत तीन स्टेशनों के निर्माण कार्य पूरा होने के कगार पर पहुंचने के कारण जिला प्रशासन दबाव में था। वाराणसी जंक्शन, काशी विद्यापीठ और रथयात्रा स्टेशनों पर रोपवे के लिए उपकरणों की स्थापना के साथ-साथ आगे का काम भी प्रगति पर है। इन कारणों से अधिकारियों के पास गोदौलिया क्रॉसिंग के पास जगह तलाशने का ही विकल्प बचा था। इस कारण रोपवे का एलाइनमेंट नहीं बदला जा सकता था।

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