केदारनाथ धाम के इस दिन खुल जाएंगे कपाट, द्वार बंद होने पर कहां चले जाते हैं भगवान भोले?

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और देखते ही देखते लाखों की संख्या में लोगों ने पंजीकरण करा लिया. चारों धाम- गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा कुछ महीनों के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलती है. ऐसे में सवाल उठता है कि केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव कहां चले जाते हैं.

कब खुलेंगे बाबा के कपाट
गढ़वाल हिमालय की मनमोहक पहाड़ियों में बसा केदारनाथ मंदिर 6 महीने तक बंद रहने के बाद अब 2 मई को फिर से खुलने वाला है. यह मंदिर, सबसे पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है, जो चार धाम यात्रा का हिस्सा है. हर साल हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होने आते हैं. केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 11,968 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.

यह मंदिर साल में अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर के बीच लगभग 6 से 7 महीने तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है और सीजन के दौरान सालाना लगभग 20 लाख तीर्थयात्री यहां आते हैं. अगर आप भी लंबे समय से केदारनाथ धाम जाने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातों के बारे में जान लीजिए.

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक धाम
बता दें, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ चारधाम और पंच केदार का एक हिस्सा है. यहां पर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं. बता दें कि पिछले साल केदारनाथ मंदिर के कपाट 10 मई को खोले गए थे और जैसे ही कपाट खुले लाखों भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंच गए. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कई लोग दर्शन भी नहीं कर पाए और उन्हें वापस लौटना पड़ा. ऐसे में अब इस साल लोग बाबा के दर्शन कर सकते हैं.

कपाट बंद होने के बाद कहां मिलते हैं बाबा भोलेनाथ
केदारनाथ के कपाट हर साल सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं. केदारनाथ मंदिर हिमालय की ऊंचाइयों पर स्थित है, जहां सर्दियों के समय भारी बर्फबारी होती है. बर्फबारी के चलते वहां जाने वाले सारे रास्ते बंद हो जाते हैं और उस इलाके में रहना बहुत मुश्किल हो जाता है.इसलिए सर्दियों की शुरुआत से पहले हर साल मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. जब कपाट बंद होते हैं तो भक्त अगले साल के खुलने का इंतजार करते हैं. हालांकि, कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव उखीमठ में विराजते हैं. उखीमठ को पंचकेदार में एक खास स्थान माना जाता है और शीतकाल में भगवान केदारनाथ की डोली यहीं लाई जाती है.

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