हाईकोर्ट की दो टूक – चुनाव में देरी नहीं सहन होगी, संवैधानिक मर्यादाएं निभाना ज़रूरी
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को नगर निकाय चुनावों में लगातार हो रही देरी को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चुनावों में टालमटोल स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था को कमजोर कर रहा है और यह संविधान के विपरीत है। साथ ही आयोग को तुरंत आवश्यक कदम उठाकर लंबित चुनाव कराने के निर्देश दिए गए हैं।
जस्टिस अनूप धंड की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि निर्वाचन आयोग आंखें मूंदकर "मूकदर्शक" की भूमिका नहीं निभा सकता। चुनावों में देरी से स्थानीय स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है, जो संविधान के तहत दिए गए अधिकारों के खिलाफ है।
कोर्ट ने कहा कि प्रदेश के कई नगरीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। संवैधानिक प्रावधानों के तहत कार्यकाल समाप्त होने के छह माह के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है लेकिन अब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। इससे स्थानीय निकायों की व्यवस्था चरमराने लगी है और लोकतांत्रिक ढांचे पर असर पड़ रहा है।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य निर्वाचन आयोग तत्काल कदम उठाए और सुनिश्चित करे कि लंबित नगर निकाय चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं। कोर्ट ने कहा कि चुनावों में देरी से न केवल जनता का भरोसा कमजोर होता है, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की साख भी प्रभावित होती है।