इंदौर का मॉडल अपनाएगी दुनिया, अध्ययन करने पहुंची विश्व बैंक की टीम

इंदौर: देशभर में अपनी स्वच्छता के लिए मशहूर इंदौर अब भिखारी मुक्त शहर के तौर पर भी चर्चा में है। यहां चलाए गए भिखारी मुक्त अभियान की वजह से इंदौर ऐसा करने वाला पहला शहर बन गया है। इसका मॉडल जल्द ही देश के दूसरे शहरों में भी लागू किया जा सकता है। केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड और विश्व बैंक की टीम अब इंदौर के भिक्षावृत्ति उन्मूलन मॉडल का अध्ययन और समझने में जुटी है।

मध्य प्रदेश के कई शहरों ने अपनाया इंदौर का मॉडल

इंदौर के भिखारी मुक्त अभियान को अब प्रदेश के कई शहर अपना रहे हैं। उज्जैन में धार्मिक स्थलों से भिखारियों को हटाने और उनके विस्थापन की प्रक्रिया तेजी से की जा रही है। इसके अलावा भोपाल जिला प्रशासन ने भी भिखारी मुक्त अभियान शुरू किया है, जिसके तहत राजधानी भोपाल में भी इंदौर जैसी ही कार्रवाई की जा रही है।

देश के दूसरे शहरों में भी इस मॉडल को अपनाने के लिए विश्व बैंक और केंद्रीय समाज कल्याण विभाग की टीम इंदौर के भिक्षावृत्ति उन्मूलन मॉडल का अध्ययन कर रही है। इसके अलावा टीम उन भिखारियों तक भी पहुंच रही है जो पहले भीख मांगते थे, लेकिन अब आत्मनिर्भर होकर स्वरोजगार से जुड़ गए हैं।

समाज कल्याण विभाग और विश्व बैंक इस मॉडल को दूसरे शहरों के लिए भी बढ़ावा दे रहे हैं

न सिर्फ उनके बच्चे दूसरे बच्चों के साथ स्कूल जा रहे हैं, बल्कि शिक्षकों को भी उनके भविष्य में सुधार की उम्मीद दिख रही है। दरअसल, यह समस्या देश के विभिन्न शहरों में है। नतीजतन, समाज कल्याण विभाग और विश्व बैंक इंदौर के इस मॉडल को दूसरे शहरों के लिए भी बढ़ावा दे रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही भारत सरकार इंदौर के इस मॉडल को दूसरे शहरों में भी लागू करने के लिए दिशा-निर्देश दे सकती है, ताकि देश के दूसरे शहरों में भी लोगों को भिखारियों से होने वाली परेशानियों से निजात मिल सके और सड़कों पर भीख मांगना अपनी किस्मत मान चुके भिखारियों को दूसरे लोगों की तरह सामान्य जीवन जीने का मौका मिल सके।

केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 2024 में भिक्षावृत्ति उन्मूलन के लिए SMILE योजना शुरू की

दरअसल, एक साल पहले तक देश के अन्य शहरों की तरह इंदौर में भी हर सड़क और चौराहे पर भिखारी भीख मांगते नजर आते थे। जिसके चलते सड़कों पर दुर्घटनाएं और अन्य परेशानियां देखने को मिलती थीं। इसी बीच भारत सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत भिक्षावृत्ति उन्मूलन के लिए देश के 9 शहरों का चयन किया था। जिसके तहत सबसे पहले इंदौर में प्रयास शुरू हुए।

इसी बीच, 2024 में इंदौर जिला प्रशासन ने सामाजिक संस्था 'प्रवेश' और सामाजिक न्याय विभाग और महिला एवं बाल विकास की टीम के साथ मिलकर एक ऐसी योजना तैयार की, जिसमें भिखारियों को विस्थापित किया जा सके। साथ ही उनके बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थायी व्यवस्था हो सके। इसके लिए इंदौर शहर में भिखारियों के लिए रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया।

जिसके तहत इंदौर के चौराहों और सड़कों पर भीख मांगने वाले लोगों को पकड़कर विस्थापन केंद्र भेजा गया, जहां उन्हें रहने के साथ-साथ भोजन आदि की सुविधाएं भी मुहैया कराई गईं। इस दौरान दूसरे राज्यों से भीख मांगने आए भिखारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। 'प्रवेश' की प्रमुख रूपाली जैन कहती हैं, "इस अभियान में करीब 8000 भिखारियों को बचाया गया। उन्हें समाज सुधार केंद्रों में भेजा गया।

आंगनबाड़ी और स्कूलों में भिखारियों के बच्चों का दाखिला

इन भिखारियों के साथ ही इनके करीब 1200 बच्चे ऐसे भी थे जो शिक्षा के मूल अधिकार से भी वंचित थे। इसलिए सभी बच्चों को न सिर्फ आंगनबाड़ी और स्कूलों में दाखिला दिलाया गया, बल्कि उन्हें शिक्षण सामग्री, स्कूल ड्रेस और आधार कार्ड समेत अन्य संसाधन भी मुहैया कराए गए। इसी तरह लाखों रुपए की लागत से सीएसआर फंड से विभिन्न अस्पतालों में बुजुर्ग भिखारियों का इलाज शुरू किया गया।

मानसिक बीमारी और नशे की लत से पीड़ित 228 भिखारियों को नशा मुक्ति के लिए उज्जैन के मानसिक चिकित्सालय और सेवा धाम आश्रम भेजा गया। इन भिखारियों में से दो माफिया भिखारियों को जेल भेजा गया, जबकि दो अन्य अपने राज्यों में लौट गए। इसी तरह दूसरे राज्यों से पलायन कर आए 2000 से अधिक भिखारियों को सख्ती के चलते अपने मूल स्थान पर लौटना पड़ा।

इंदौर में भिखारियों की सूचना देने वालों को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया

इस सतत अभियान का नतीजा यह है कि इंदौर में अब किसी भी सड़क या चौराहे पर भिखारी नजर नहीं आते। इसके अलावा इंदौर जिला प्रशासन ने एक नंबर भी जारी किया जिस पर व्हाट्सएप या अन्य माध्यम से सूचना देने पर बचाव दल तत्काल भिखारी को पकड़कर विस्थापन केंद्र पहुंचाता था। इसके लिए 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया।

संबंधित नंबर पर भिखारियों की सूचना देने वालों को इंदौर जिला प्रशासन ने न सिर्फ सम्मानित किया बल्कि उन्हें प्रोत्साहन राशि भी दी गई। इसके अलावा नागरिक सुरक्षा अधिनियम में धारा 16312 सिविल संहिता 2023 के तहत इंदौर में भीख मांगने पर रोक लगा दी गई। इसके बाद शहर में भीख मांगने को न सिर्फ अपराध घोषित किया गया बल्कि दंडनीय अपराध भी घोषित किया गया।

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