सरगुजा में नए कांग्रेस जिलाध्यक्षों की रेस में ये नाम आगे, पर्यवेक्षक राजेश ठाकुर ने नियुक्ति को लेकर दिया बयान
सरगुजा। झारखंड के पूर्व पीसीसी चीफ और सरगुजा जिले के संगठन सृजन अभियान के पर्यवेक्षक राजेश ठाकुर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस थी लेकिन उसके बाद भी हार मिली इससे सबक लेना चाहिए और जो सबक लेंगे वही पार्टी के कर्णधार कहलाएंगे।
कांग्रेस के संगठन सृजन को लेकर राजेश ठाकुर ने दिया बयान
राजेश ठाकुर ने कहा कि, सरगुजा में संगठन का सृजन करने आया हूं नेता का सृजन करने नहीं, जिला अध्यक्ष बनने के लिए कई नेता लाइन में हैं लेकिन नाराज होने वालों की चिंता नहीं है। एक सवाल पर कहा कि सरगुजा में भले पैलेस गुट की बात आती है लेकिन मेरे मन में ऐसी बात नहीं है। राज्य में मिली हार से सभी को सबक लेना चाहिए, अब यहां गुटबाजी नहीं है, अमरजीत भगत और TS बाबा एक मंच पर मेरे साथ बैठे, लेकिन उन्होंने कहा कि अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कार्यकर्त्ता, नेताओं में बिखराव करना चाहते हैं। वहीं उनसे पूछा गया कि राजनीति में जो दिखता है वैसा होता नहीं है, इस पर उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए कहा, ऐसा परिवार में भी रिश्तो के बीच होता है, जैसे सास बहू और भाभी ननन के रिश्तो में कई बार जैसा दिखता है वैसा नहीं होता है।
नए कांग्रेस जिलाध्यक्षों की रेस में ये नाम आगे
उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्ष के लिए मुझे जितने आवेदन मिलेंगे उसमे से फीडबैक के आधार पर 6 लोगों का नाम हाई कमान को भेजा जायेगा, हालांकि अब तक लिखित में सिर्फ दो आवेदन ही आए हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत पर्यवेक्षक और उनकी टीम के लोग जिला स्तर के अलावा ब्लॉक लेवल पर जाकर पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के अलावा अलग-अलग सामाजिक संगठन के लोगों से भी जिला अध्यक्ष बनाने को लेकर चर्चा कर रहे हैं। पर्यवेक्षकों के मुताबिक जिनके नाम पर अधिक सहमति मिलेगी, क्रमशः उन्हीं में से 6 लोगों का नाम हाई कमान को भेजा जाएगा और इन 6 लोगों में जिसके पक्ष में सर्वाधिक लोगों का राय होगा उसे जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा.
बाल कृष्ण पाठक ( मौजूदा अध्यक्ष)
बालकृष्ण पाठक पिछले 4 महीने से सरगुजा जिले में कांग्रेस जिला अध्यक्ष का कमान संभाल रहे हैं, बालकृष्ण पाठक पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता TS सिंहदेव के बेहद करीबी हैं। बालकृष्ण पाठक इससे पहले भी पार्टी के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं इसके अलावा कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए पादप बोर्ड के अध्यक्ष थे.
शफी अहमद ( नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष)
शफी अहमद वर्तमान में नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष हैं और सभी अहमद भी TS बाबा के बेहद करीबी हैं। शफी अहमद ने इसलिए दावेदारी की है ताकि अगर अधिक उम्र की वजह से बालकृष्ण पाठक को जिला अध्यक्ष बनाने में कोई दिक्कत हो तो फिर उन्हें बनाया जा सके. यानी विकल्प के तौर पर TS सिंह देव के गुट से शफी अहमद ने जिला अध्यक्ष के लिए दावेदारी की है.
दुतेन्द्र मिश्रा ( कांग्रेस प्रदेश महामंत्री)
जितेंद्र मिश्रा कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री के पद पर रह चुके हैं और वह भी TS बाबा गुट के बेहद करीबी हैं। इन्होंने भी बाबा के गुट से विकल्प के तौर पर दावेदारी की है। इसके आलावा वे बड़े ठेकेदार भी हैं और ब्राम्हण समाज से आते हैं, अगर ब्राम्हण समाज से ही जिला अध्यक्ष बनाना हो तो इन्हें बनाया जा सकता है क्योंकि बाल कृष्ण भी ब्राम्हण हैं.
दानिश रफीक
दानिश रफीक ने NSUI से अपनी राजनीति शुरू की लेकिन बीच में हुए अजीत जोगी की पार्टी में भी शामिल हो गए थे इसके बाद जब कांग्रेस में शामिल हुए तब से वे अमरजीत भगत गुट में दिखाई देते हैं.
अनिल कर्नल
अनिल कर्नल भी कांग्रेस के पुराने नेता हैं और वे भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं. इसके अलावा अनिल कर्नल के पिता राम सहाय सिंह भी कांग्रेस के नेता थे जो राज परिवार के करीबी माने जाते थे.
दीपक मिश्रा (पूर्व पार्षद)
दीपक मिश्रा पूर्व मंत्री अमरजीत भगत के बेहद नजदीकी हैं और कांग्रेस से पूर्व पार्षद भी रह चुके हैं वे अमरजीत भगत के लिए काफ़ी वफादार माने जाते हैं. NSUI से इन्होंने अपनी राजनीति शुरू की है.
गुरू प्रीत सिंह बाबरा (खाद्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष)
भूपेश बघेल सरकार में गुरु प्रीत सिंह बाबरा खाद्य आयोग के अध्यक्ष थे और तब अमरजीत भगत खाद्य मंत्री थे ऐसे में बाबरा भूपेश बघेल और अमरजीत भगत दोनों के ही करीबी माने जाते हैं.
विनय शर्मा (पूर्व पार्षद)
विनय शर्मा भी पूर्व मुख्यमंत्री श्री देव परिवार के समर्थक माने जाते हैं और वह नगर निगम अंबिकापुर में पार्षद भी रह चुके हैं इसके अलावा कांग्रेस में अलग-अलग पदों पर भी रह चुके हैं.
सिद्धार्थ सिंह (जनपद उपाध्यक्ष, उदयपुर)
सिद्धार्थ सिंह भी कांग्रेस कार्यकारिणी की टीम में रह चुके हैं और फिलहाल उदयपुर जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष हैं और स बाबा परिवार के करीबी माने जाते हैं सिद्धार्थ सिंह का उनके क्षेत्र में खूब दबदबा है।
नरेंद्र सिंह छाबड़ा (कांग्रेस नेता)
नरेंद्र सिंह छाबड़ा कांग्रेस के नेता हैं और जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी रह चुके हैं इसके अलावा वे भी अमरजीत भगत के ग्रुप से आते हैं। नरेंद्र सिंह छाबड़ा सीतापुर के रहने वाले हैं.
भानु प्रताप सिंह (अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष)
भानु प्रताप सिंह अनुसूचित जनजाति आयोग के वर्तमान में भी अध्यक्ष हैं. भूपेश बघेल के करीबी हैं, उन्हीं के सरकार में उन्हें आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था.
जिला अध्यक्ष बनाने किसकी चलेगी?
सरगुजा जिला अध्यक्ष बनने को लेकर यहां भी गुटबाजी दिखाई दे रही है. पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव और अमरजीत भगत के खेमे के लोगों ने दावेदारी की है, लेकिन फिलहाल संभावना इस बात की है कि वर्तमान जिला अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ही जिला अध्यक्ष के पद पर यथावत रह सकते हैं क्योंकि उन्हें 4 महीने पहले ही जिला अध्यक्ष पद का कमान सौंपा गया है. और वे सिंहदेव के बेहद करीबी हैं. वहीं अगर बदलने की बात आती है, तो शफी अहमद का नाम दूसरे नंबर पर माना जा रहा है क्योंकि सफी अहमद भी TS बाबा के खास हैं. इसके अलावा अगर अमरजीत भगत और भूपेश बघेल के गुट का चलता है, तो दानिश रफीक या राजू बाबरा जिला अध्यक्ष बन सकते हैं.