आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, भारत में कितना होगा असर? ग्रहण से क्यों डरते हैं लोग
नर्मदापुरम/पिपरिया: आस्था और परंपराओं से जुड़े पितृपक्ष का समापन रविवार को खास खगोलीय संयोग के साथ होगा. सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिषाचार्यों का मानना है यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन ग्रहण काल की धार्मिक मान्यताएं जरूर प्रभाव डालेंगी. लेकिन नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू का मानना है कि, ग्रहण से भयभीत करना ठीक नहीं है. सारिका ने बताया कि,''हर साल आप 4 ग्रहण का सामना करते हैं, फिर हर ग्रहण पर क्यों घबराना.''
ग्रहण से डरना क्यों: सारिका घारू
सारिका ने बताया कि, ''अगर किसी व्यक्ति की आयु 75 वर्ष है तो वह कम से कम 340 ग्रहण की भौगोलिक स्थिति का अनुभव कर चुका होता है. अगर 340 ग्रहण के बाद भी कोई विपरीत असर न आया हो तो नई युवा पीढ़ी को ग्रहण से भयभीत करना ठीक नहीं माना जा सकता है.'' इधर ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक दुबे का कहना है कि, ''जब ग्रहण और अमावस्या का संयोग बनता है तो यह समय आध्यात्मिक साधना, दान-पुण्य और पितरों के तर्पण के लिए और भी फलदायी माना जाता है. वहीं कुछ शास्त्रीय मत ऐसे भी हैं, जिनमें ग्रहण के दौरान कुछ पूजा-अनुष्ठानों को टालने की सलाह दी जाती है.''
सीमित स्थान में दिखेगा सूर्य ग्रहण
नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि, ''इस ग्रहण को पृथ्वी के सीमित जनसंख्या वाले स्थानों से ही देखा जा सकेगा. ग्रहण भारतीय समयानुसार रविवार देर रात 10 बजकर 59 मिनिट 43 सेकेंड से आरंभ होकर मध्यरात्रि के बाद 3 बजकर 23 मिनिट 45 सेकंड पर समाप्त होगा. इस समय भारत में आप रात्रि विश्राम कर रहे होंगे.'' सारिका ने ग्रहण मैप की मदद से जानकारी दी कि, ''इस ग्रहण को न्यूजीलैंड के साथ आस्ट्रेलिया के ईस्टर्न कोस्ट की एक पतली स्ट्रिप तथा अंटार्टिका के भागों मे देखा जा सकेगा. एक गणितीय अनुमान के अनुसार, इस ग्रहण को विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 0.2 प्रतिशत भाग ही देख सकेगा.''
ग्रहण से भयभीत न हो
सारिका ने बताया कि, ''जहां तक ग्रहण के असर की बात है तो हर साल चार ग्रहण होते ही हैं, जिनमें कम से कम दो चंद्रग्रहण और और दो सूर्यग्रहण होते हैं. इनमें से कुछ आपके शहर में दिखाई भी नहीं देते हैं तो कुछ पृथ्वी के अन्य भागों पर होते हैं.''
ग्रहण का भी होता है खानदान
सारिका ने बताया कि, ''रविवार का यह ग्रहण 18 वर्ष 11 दिन और 8 घंटे की अवधि के बाद फिर उसी रूप में आ रहा है, जैसा कि 11 सितंबर 2007 को हुआ था. इस ग्रहण के बाद फिर इसी अंतराल के बाद 03 अक्टूबर 2043 को पुन: इसी रूप में दिखाई देगा. लगभग 18 वर्ष 11 दिन और 8 घंटे की अवधि के बाद बाद ग्रहण फिर उसी स्थिति मे होता है जिसमें चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी और स्थिति समान रहती है. इस तरह हर एक ग्रहण किसी एक खानदान का सदस्य होता है. इस खानदान को सारोस कहते हैं. यह सारोस 154 खानदान ग्रहण है. इस खानदान या सारोस में कुल 71 ग्रहण होना है, जिसमें यह 7वां ग्रहण है.''
सर्वपितृ अमावस्या होती है खास
पंडित अशोक दुबे ने बताया कि, ''सूर्य ग्रहण पर सर्वपितृ अमावस्या आने से वह दिन खास हो जाता है. इस दिन जिन लोगों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती, उनके लिए भी श्राद्ध किया जाता है. इसलिए इस दिन को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. मंदिरों और पवित्र नदियों के तटों पर पिंडदान और तर्पण करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने की संभावना है. इस बार पितृपक्ष का समापन सूर्य ग्रहण के विशेष संयोग में होगा. भारत में ग्रहण दिखाई तो नहीं देगा, लेकिन धार्मिक दृष्टि से यह दिन बेहद खास रहेगा. श्रद्धालु तर्पण और दान-पुण्य कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे.''
आपके शहर में अब कब दिखेगा सूर्य ग्रहण
सारिका घारू ने बताया कि, ''अगर आप अपने शहर में सूर्य ग्रहण देखना चाहते हैं तो आपको 2 अगस्त 2027 का इंतजार करना होगा. तब आप आंशिक सूर्यग्रहण देख पाएंगे.''