विक्रमोत्सव भारत के उत्कर्ष और नव जागरण का अभियान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि विक्रमोत्सव भारत के उत्कर्ष और नव जागरण का ऐसा अभियान है, जो अब नहीं रुकेगा। विक्रमोत्सव ने भारत की सांस्कृतिक चेतना, ऐतिहासिक गौरव और राष्ट्रीय पुनर्जागरण के अभियान ने एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ जनमानस में स्थान बनाया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि मध्यप्रदेश विरासत से विकास की थीम के अंतर्गत 14 जनवरी 2025 (संक्रांति) से गीता जयंती तक पूरे प्रदेश में श्रीकृष्ण पाथेय और सांस्कृतिक विरासत के विभिन्न पहलुओं को जन-जन से जोड़ा गया है। इस संकल्पना के केंद्र में हैं उज्जयिनी के सार्वभौम सम्राट विक्रमादित्य, जिन्होंने 57 ईसा पूर्व शकों को पराजित कर विक्रम सम्वत् की स्थापना की थी।
विक्रम सम्वत् पंचाग मात्र नहीं, भारतीय आत्मा, अस्मिता और गौरव का प्रतीक
विक्रम सम्वत् मात्र एक पंचांग या नववर्ष नहीं, बल्कि यह भारतीय आत्मा, अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल को रामराज्य के बाद सुशासन, धर्म, न्याय और संस्कृति का स्वर्ण युग माना जाता है। उनके नौ रत्नों— कालिदास, वराहमिहिर, धन्वंतरि, अमरसिंह आदि ने साहित्य, ज्योतिष, आयुर्वेद और सुरक्षा नीति में अद्वितीय योगदान दिया। उनके समय में भारत की सीमाएँ ईरान, तुर्किस्तान, सुमेर, मिस्र तक विस्तृत थीं।
विक्रमोत्सव 2025 : अनेकता में एकता का विराट महोत्सव
वर्ष 2025 का विक्रमोत्सव एशिया का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव और अब विश्व का सबसे दीर्घकालीन एवं बहुआयामी उत्सव बन गया है। इसके प्रथम चरण में 250 से अधिक सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, धार्मिक और साहित्यिक गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें कलश यात्रा, विक्रम व्यापार मेला, नाट्य समारोह, विज्ञान समागम, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, कवि सम्मेलन, ड्रोन शो और श्रेया घोषाल, हंसराज रघुवंशी और आनंदन शिवमणि जैसे कलाकारों की प्रस्तुतियाँ शामिल रहीं।
सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य : भारत के प्राचीन गौरव की गाथा
सम्राट विक्रमादित्य पर केंद्रित भव्य महानाट्य की प्रस्तुतियाँ उज्जैन, इंदौर, भोपाल, हैदराबाद, प्रयागराज, अयोध्या सहित अनेक नगरों में हो चुकी हैं। इसकी 50वीं ऐतिहासिक प्रस्तुति 12-14 अप्रैल को दिल्ली के लाल किले में हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल को सराहा और प्रशंसा की। इस मंचन में अयोध्या की खोज, मंदिर निर्माण, शासन की न्यायप्रियता, संस्कृतिपरक दृष्टि और सम्राट विक्रमादित्य की सार्वभौमिक विजयों को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है।
शोध और प्रमाणों का संकलन
विक्रमादित्य पर गहन शोध, अभिलेखीय प्रमाण, मुद्राएँ, स्थापत्य और शिलालेख उज्जैन की महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा पिछले 15 वर्षों से संकलित और प्रस्तुत किए जा रहे हैं। सम्राट विक्रमादित्य के कार्यों की ऐतिहासिकता को चीनी यात्री ह्वेनसांग, मध्य-एशिया के इतिहासकार अलबरूनी सहित कई अन्य विदेशी इतिहासकारों ने भी मान्यता दी है।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी : कालगणना की भारतीय दृष्टि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी भारत की प्राचीन कालगणना पर आधारित आधुनिकतम नवाचार है। इसका डिजिटल ऐप भी तैयार है, जिसे शीघ्र ही सार्वजनिक किया जाएगा।
भारत की सांस्कृतिक पुनर्रचना का प्रतीक
विक्रमोत्सव केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं, यह भारत की आत्मा को जागृत करने का एक अनवरत अभियान बन चुका है। इसमें शिवरात्रि मेलों, सूर्योपासना, साहित्य, इतिहास, न्याय, खगोल, संगीत, नाट्य और भोजन संस्कृति तक का समावेश है। लाल किले पर आयोजित प्रदर्शनियों में मध्यप्रदेश की उपलब्धियाँ, वैदिक भारत, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा जैसे विषयों को प्रस्तुत किया जा रहा है।