शिवलिंग पर पहले जल या बेलपत्र? सावन में मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद, जानिए शिव पूजा की सही विधि और नियम

How To Please Lord Shiva : सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे खास समय माना जाता है. इस बार सावन 11 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है. पूरे महीने श्रद्धालु व्रत, जाप, अभिषेक और रुद्राष्टक जैसे पाठों के जरिए शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. खासकर हर सोमवार को मंदिरों में शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा निभाई जाती है.
लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि शिवलिंग पर सबसे पहले क्या चढ़ाना चाहिए जल या बेलपत्र? इस सवाल का उत्तर भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने विस्तार से बताया, जिसे सावन में शिव पूजा करने वाले हर भक्त को जानना चाहिए.

पूजा की शुरुआत कैसे करें?
भगवान शिव को अभिषेक प्रिय है और पूजा की शुरुआत भी अभिषेक से होती है. सबसे पहले शिवलिंग पर शुद्ध जल या गंगाजल चढ़ाना चाहिए. इसके बाद दूध, दही, शहद, शक्कर, घी जैसे पंचामृत का प्रयोग करें. फिर से शुद्ध जल से लिंग को धोएं और तब पूजन सामग्री अर्पित करें, जैसे – बेलपत्र, सफेद फूल, धतूरा, भांग आदि.

क्यों सबसे पहले जल चढ़ाया जाता है?
शिव पुराण, स्कंद पुराण और पद्म पुराण में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि शिव पूजन की शुरुआत जल से होती है. जल को आवाहन (निमंत्रण) का प्रतीक माना गया है. जब जल शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है, तो वह उसे ठंडक देता है. यह इस बात की याद दिलाता है कि भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को पी लिया था. उसी विष की जलन को शांत रखने के लिए उनके सिर पर निरंतर जल धारा बहाई जाती है.

बेलपत्र का महत्व और सही समय
बेलपत्र को भगवान शिव का सबसे प्रिय पत्र माना जाता है. परंतु इसका स्थान जल के बाद आता है. जल से शिवलिंग की ऊर्जा सक्रिय होती है और बेलपत्र उस ऊर्जा को स्थिर करता है. अतः पहले जल और फिर बेलपत्र चढ़ाना ही उचित होता है.
बेलपत्र चढ़ाने के नियम भी विशेष होते हैं – पत्ते टूटे या कटे नहीं होने चाहिए, उन पर चूहे या कीड़े का कोई निशान न हो और तीन पत्तों वाला पूरा समूह हो. साथ ही बेलपत्र चढ़ाते समय ॐ नमः शिवाय का जाप करना भी शुभ फलदायी माना गया है.

क्या होता है अगर नियम उलटे हों?
अगर कोई गलती से पहले बेलपत्र और बाद में जल चढ़ा दे, तो यह पूजा का अनुक्रम बदल देता है. यह ठीक वैसा है जैसे खाना खाने से पहले हाथ धोने के बजाय बाद में धोना. पूजा में क्रम का पालन भाव और नियम दोनों की दृष्टि से जरूरी होता है. इसलिए सावन में शिवलिंग पर पहले शुद्ध जल और फिर अन्य सामग्री चढ़ाना चाहिए.

सच्चे भक्त कौन हैं?
शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि भगवान शिव उन्हीं भक्तों को प्रिय मानते हैं जो निर्मल मन, सच्चे भाव और धोखे से दूर रहते हैं. जो खुद की भलाई से पहले सबके लिए सोचते हैं, धर्म के रास्ते पर चलते हैं और छल नहीं करते – ऐसे लोग ही शिव की सच्ची पूजा के अधिकारी होते हैं.

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