यमराज का दीपक कब और कैसे जलाना चाहिए, कभी नहीं होगी अकाल मृत्यु, जानें जरूरी बातें
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी यम देवता की पूजा का पर्व है, जो परिवार पर मृत्यु के भय को दूर करता है और घर में सुख, समृद्धि और सुरक्षा लाता है. इस दिन शाम के प्रदोष काल में चौमुखा दीपक घर के कोनों में घुमाकर जलाना चाहिए और पूजा के बाद इसे दक्षिण दिशा में रखना शुभ होता है. हनुमान चालीसा का पाठ करने से परिवार पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी विशेष रूप से यम देवता की पूजा के लिए मनाई जाती है. इस दिन यम का दीपक जलाने से परिवार पर मृत्यु का भय नहीं रहता. यह त्यौहार घर में सुख-समृद्धि और सुरक्षा लाता है.
यम का दीपक जलाने का शुभ समय शाम के प्रदोष काल में होता है. इस समय परिवार के सभी सदस्य एकत्र होकर दीपक जलाते हैं. यह समय अत्यंत शुभ माना जाता है और इससे पूजा का फल अधिक मिलता है.
यम के लिए बड़े आकार का मिट्टी का दीपक लेना चाहिए. दीपक चौमुखा होना चाहिए और इसमें चार बत्तियां लगाई जाती हैं. दीपक में सरसों का तेल भरकर इसे घर में अलग-अलग स्थानों पर घुमाना चाहिए.
दीपक को घर के कोने-कोने में ले जाकर घुमाना चाहिए. यह घर में बुरी शक्तियों को दूर करता है. दीपक जलाने से घर में सुख-शांति आती है और यम देवता की कृपा से परिवार सुरक्षित रहता है.
दीपक को जलाने के बाद इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखना चाहिए. दक्षिण दिशा यम देवता का स्थान है. दीपक रखने से घर में मृत्यु का भय नहीं रहता और यमराज की कृपा बनी रहती है.
पूजा करते समय हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए. इससे घर में हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं और परिवार पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. पूजा में सभी सदस्य शामिल होना चाहिए.
दीपक को घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखने के बाद उसके पास नहीं जाना चाहिए. ऐसा करने से यम देवता की कृपा बनी रहती है. यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और सुरक्षित मानी जाती है.