जब वनवास पर थे श्री राम… तो इस जगह रुके थे 4 महीने…यहां माता सीता ने बनाया था भोजन!
त्रेतायुग में भगवान राम ने छत्तीसगढ़ के हरचौका में 4 महीने बिताए थे. बताया जाता है, कि भगवान राम मवई नदी के तट पर रुके थे. मान्यताओं के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम का पहला पड़ाव छत्तीसगढ़ ही था और यहीं पर माता सीता ने अपने हाथों से भोजन बनाया और भगवान राम और लक्ष्मण के साथ उसे ग्रहण किया. इसलिए इस स्थान को "सीता की रसोई" के नाम से भी जाना जाता है.
छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल माना जाता है, क्योंकि मान्यता है, कि माता कौशल्या का जन्म यहीं हुआ था. इस ऐतिहासिक महत्व के कारण यह प्रदेश प्रभु श्री राम से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है. हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान राम ने अपने 14 सालों के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ के भरतपुर विकासखंड स्थित ग्राम हरचौका में चार महीने बिताए थे. वनवास काल में श्री राम के यहां रुकने के कारण सीतामढ़ी हरचौका पूरे भारत में प्रसिद्ध है.
त्रेतायुग में जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण अयोध्या से वनवास के लिए निकले, तो उन्होंने भारत के कई वन क्षेत्रों में समय बिताया. इसी यात्रा के दौरान वे छत्तीसगढ़ पहुंचे और भरतपुर नगर पंचायत के हरचौका में मवई नदी के तट पर रुके. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने वनवास के लगभग चार महीने यहीं बिताए थे.
स्थानीय मान्यता के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम का पहला पड़ाव छत्तीसगढ़ ही था. यहीं पर माता सीता ने अपने हाथों से भोजन बनाया और भगवान राम और लक्ष्मण के साथ उसे ग्रहण किया. इसलिए इस स्थान को "सीता की रसोई" के नाम से भी जाना जाता है.
सीतामढ़ी हरचौका की एक प्रमुख विशेषता, यहां स्थित एक प्राचीन गुफा है. इस गुफा में कुल 17 कक्ष हैं, जिन्हें सीता माता की रसोई कहा जाता है. इस गुफा के भीतर 12 शिवलिंग स्थापित हैं, जिनकी पूजा भगवान राम ने स्वयं अपने वनवास के दौरान की थी, ऐसा माना जाता है.
सीता माता की रसोई वाला यह स्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है. मवई नदी का एक तट मध्य प्रदेश में और दूसरा तट छत्तीसगढ़ में आता है. स्थानीय लोग मवई नदी के जल को गंगाजल के समान पवित्र मानते हैं, क्योंकि मान्यता है कि माता सीता ने इस नदी में स्नान किया था, जिससे इसका जल गंगा की तरह पवित्र हो गया.
शोधकर्ताओं के अनुसार, राम वनगमन पथ के 248 महत्वपूर्ण स्थलों में से सीतामढ़ी हरचौका भी एक है. यह छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां सरकार द्वारा राम वनगमन पर्यटन मार्ग विकसित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. यह क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित होने की अपार संभावनाएं रखता है.