पति-पत्नी में है मनमुटाव या बच्चों के विवाह में आ रही है अड़चनें, बस दिवाली के दिन करें आटे के दीए से ये उपाय.. बदल जाएगी किस्मत

दिवाली का त्योहार रोशनी, खुशियों और माता लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन हर घर दीपों से जगमगाता है. कहीं घी के दिए जलते हैं तो कहीं तेल के. लेकिन आज भी कई घरों और गांवों में लोग आटे के दिए जलाते हैं. दिखने में साधारण लगने वाले ये आटे के दिए दरअसल गहरी आस्था और मान्यता से जुड़े हैं. माना जाता है कि ये दिए सिर्फ घर को नहीं बल्कि जीवन को भी रोशन करते हैं.

क्या है मान्यताएं

महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने Local18 से बातचीत में बताया कि दीपावली की रात माता लक्ष्मी सभी घरों में भ्रमण करती हैं. ऐसे में घर को दीपों की रोशनी से सजाना बहुत शुभ माना जाता है. कुछ लोग मिट्टी के दिए जलाते हैं, तो कुछ आटे के दिए. आटे के दिए जलाने के पीछे तीन प्रमुख कारण बताए गए हैं. पहला आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए… दूसरा, गृह क्लेश यानी घर के झगड़ों से छुटकारा पाने के लिए और तीसरा विवाह से जुड़ी रुकावटों को दूर करने के लिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार इन तीनों के लिए आटे का दिया जलाना अत्यंत फलदायी माना गया है.

कौनसी दिशा में जलाएं दीया
स्वामी कामेश्वरानंद जी के अनुसार दिए जलाने की दिशा भी बहुत मायने रखती है. दिए हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर जलाने चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं. दक्षिण दिशा यमराज की दिशा होती है इसलिए, वहां दिया तभी जलाया जाता है जब हम पितरों के लिए दीप जलाते हैं. घर में प्रवेश करते समय दाईं ओर दिया जलाना शुभ माना गया है. अगर कोई पीली सरसों के तेल या घी का दीपक जलाता है तो घर की ओर मुख रखते हुए उल्टे हाथ की दिशा में दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है.

आटे के दीए से अड़चने होती हैं दूर
स्वामी जी बताते हैं कि अगर घर में क्लेश बढ़ रहे हों पति-पत्नी में मनमुटाव हो या बच्चों के विवाह में अड़चनें आ रहा हो, तो दीपावली की रात आटे के दीपक जलाने से यह सब दोष दूर होते हैं. नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है के दिन आटे के चौमुखी दिए जलाने की खास परंपरा है. कहा जाता है कि इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और नरक के द्वार हमारे लिए बंद हो जाते हैं. यह दीपक अकाल मृत्यु से रक्षा करता है और जीवन में उजाला भर देता है.
मिट्टी का दिया भी होता है शुभ
मिट्टी के दिए भी शुद्धता और पवित्रता के प्रतीक माने गए हैं. घर के बाहर निकलते समय अगर दीपक का मुख सड़क की ओर रखा जाए, तो यह भी शुभ माना जाता है. इससे घर में धन, सुख और शांति बनी रहती है. दीपावली की रात गणेश, लक्ष्मी और कुबेर भगवान की पूजा करने के साथ-साथ श्री सूक्त के 16 मंत्रों या कलक धारा स्रोत का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है.
घर के मुख्य द्वार पर गाय के घी और सिंदूर से स्वस्तिक और ॐ का चिन्ह बनाएं
स्वामी जी कहते हैं कि लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किसी तांत्रिक प्रयोग में न पड़ें. घर के मुख्य द्वार पर गाय के घी और सिंदूर से स्वस्तिक और ॐ का चिन्ह बनाएं… यह बहुत ही शुभ माना जाता है. इस तरह दीपावली की रात आटे के दिए जलाना केवल परंपरा नहीं बल्कि समृद्धि, शांति और सुख का प्रतीक है जो अंधकार को मिटाकर जीवन में उजाला भर देता है.

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