केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, मौजूदा वक्त में लोकपाल की नियुक्ति संभव नहीं

सुप्रीम कोर्ट में आज लंबे वक्त से संसद में अटके लोकपाल बिल पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की और से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि संसद के इस सत्र में लोकपाल की नियुक्ति संभव नहीं है क्योंकि इस बिल में कई सारे संशोधन होना बाकी है.

आपको बता दें, संसद में लोकपाल बिल पर करीब 20 संशोधन लंबित हैं. लोकपाल बिल में 2014 में संशोधन प्रस्ताव लाया गया था. लेकिन स्टैंडिंग कमेटी ने एक साल तक फंसा रहा.

केंद्र सरकार ने लोकपाल नियुक्ति के मामले में कहा कि मल्लिकार्जुन खडगे की नेता विपक्ष की मांग को स्पीकर ने खारिज कर दिया था. ऐसा पहली बार हुआ है जब संसद में नेता विपक्ष ना हो. ऐसे हालात में लोकपाल की नियुक्ति संभव नहीं है.

रोहतगी ने कहा कि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के महज 10 फीसदी संसद लोकसभा में है. जिसका असर भी लोकपाल बिल में हुए संशोधन को पास कराने में पड़ेगा. मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पर गौर कर रही है. जिस पर कोर्ट ने कहा था कि हम यह जानना चाहते हैं कि सरकार लोकपाल कानून में क्या बदलाव लाना चाहती है.

कोर्ट में एनजीओ कॉमन काउज नाम गैर सरकारी संगठन की ओर से दाखिल पीआईएल पर सुनवाई चल रही थी. याचिकाकर्ता की ओर के वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने कहा कि अदालत को इस मामले में दखल देकर सबसे बड़े विपक्षी दल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे देना चाहिए.

आपको बता दें, लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट 2013 के मुताबिक, सेलेक्ट कमेटी में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता, भारत के प्रधान न्यायाधीश या नामित सुप्रीम कोर्ट के जज और एक नामचीन हस्ती के होने का प्रावधान भी है.

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