जंगली हाथियों को रोकने अब लगाएंगे करंट वाले बैरिकेड

रायपुर। हाथी मानव द्वंद्व को रोकने के लिए वन विभाग लगातार प्रयोग कर रहा है। अब तक एक भी प्रयोग कारगर साबित होता दिखाई नहीं दे रहा है। जंगली हाथियों के आने की सूचना लोगों को मिल जाए और जन-धन हानि से बचा जा सके इसके लिए वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ ने हाथियों के गले में घंटी बांधने का आदेश जारी किया है।

वहीं रायपुर वन वृत्त के सीसीएफ ने अब रायपुर और महासमुंद के बॉर्डर पर करंट वाले बैरिकेड यानी एलीफेंट अलर्ट बैरिकेड लगाने का निर्णय लिया है। इस बैरिकेड की खासियत यह होगी कि हाथियों के आगे बढ़ने पर इसे उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जा सकेगा।
इसका मकसद राजधानी की तरफ आने वाले जंगली हाथियों के मूवमेंट को बदलकर बारनवापारा की तरफ मोड़ना है। यह योजना सरगुजा वन वृत्त में काफी प्रभावशाली रही है। अधिकारियों का मानना है कि बैरिकेड लगाने से हाथियों को रोका जा सकेगा और सही जगह पर आसानी से पहुंचाया जा सकेगा।

ज्ञात हो कि जंगली हाथियों का दल खाने की तलाश में दिन ब दिन राजधानी की तरफ बढ़ रहा है। पिछले साल मैट्स यूनिवर्सिटी तक पहुंच गया था और इस साल आरंग स्थित अमेठी के पास करीब दस दिन डेरा डाले रहे। उसके बाद हाथियों का दल फरफौद तक पहुंच गया था।
वन विभाग अमले ने काफी मशक्कत के बाद महासमुंद की तरफ उनका रुख किया। हाथियों के दल ने किसानों की फसल को भी जमकर नुकसान पहुंचाया है। वन विभाग ने एक माह के भीतर किसानों को मुआवजा दिलाने का लक्ष्‌य रखा है। इसके लिए किसानों को कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। संबंधित गांव का सरपंच जो लिखकर दे देगा, वह वन रक्षक के माध्यम से डीएफओ तक आएगा और उसे जल्द से जल्द भुगतान कर दिया जाएगा।

बैरिकेड ऐसे करेगा काम
वन विभाग के मुताबिक बारनवापारा से रायपुर तक हाथियों के सात पड़ाव हैं। ये पड़ाव हैं-लवन, अमेठी, कुकराडीह, पसराडीह, गुल्लू, समोदा, फरफौद आदि। वन विभाग पीवीसी पाइप पर जीई तार चार फीट और छह फीट की ऊंचाई पर लगाएगा। यह लगभग दो किलोमीटर तक होगा। तार को बैटरी को जोड़ देंगे। इससे रुक-रुक कर इसमें करंट आएगा। करंट सिर्फ झटका देगा।

इसके पास हाथियों के आने पर झटका लगेगा। इससे उनकी दिशा बदल जाएगी। उसके बाद बैरिकेड को उखाड़कर दूसरे पड़ाव पर इस्तेमाल किया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार राजधानी और महासमुंद के बार्डर पर विचरण कर रहे हाथियों को बारनवापारा के लवन रेंज के तुतरिया और कोठारी वन क्षेत्र में ले जाने का लक्ष्‌य है।
सरगुजा संभाग में यह योजना रही सफल

वन विभाग के अधिकारी इस योजना का प्रयोग सरगुजा संभाग में कर चुके हैं। अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश के सरगुजा, बिलासपुर और रायपुर संभाग में ओडिशा से भटककर हाथी आते हैं। सरगुजा संभाग में 150 हाथियों का दल था। एलीफेंट अलर्ट बैरिकेड की मदद से करीब 60 हाथियों को पडोसी राज्यों में भगाने में सफलता मिली है। सरगुजा संभाग में वर्तमान में कुल 90 हाथी बचे हैं, जो अलग-अलग इलाके में विचरण कर रहे हैं। प्रदेश में कुल 255 हाथी अलग-अलग झुंड में विचरण कर रहे थे।
– हाथियों को भगाने के लिए अब एलीफेंट अलर्ट बैरिकेड लगाए जाएंगे। यह बैरिकेड हाथियों के पड़ाव पर लगाए जाएंगे। हाथियों के आगे बढ़ने पर इसे उखाड़कर दूसरी जगह लगा दिया जाएगा।- केके विसेन सीसीएफ रायपुर
 

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