अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई, शिया वक्फ बोर्ड की अर्जी पर भी होगा विचार

नई दिल्ली .  लंबे इंतजार के बाद राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच सुनवाई शुरू करने जा रही है। छह सालों से लंबित इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन न्यायाधीशों- जस्टिस दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और अब्दुल नजीर की विशेष बेंच का गठन किया है जो इस मामले पर नियमित सुनवाई करेगी। हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि शुक्रवार से मामले की नियमित सुनवाई होगी या फिर नियमित सुनवाई की रूपरेखा तय की जाएगी। इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए हलफनामे को अहम माना जा रहा है।

हाई कोर्ट के फैसले को SC में दी गई थी चुनौती

हाईकोर्ट ने दो-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी बोर्ड के बीच बांटने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जजों ने कहा था कि जो इलाका तीन गुंबदों के ढांचे से ढका था, इसमें बीच के गुंबद का हिस्सा हिंदुओं का है। फिलहाल रामलला की मूर्ति वहीं है। निर्माेही अखाड़े को पास की दूसरी जमीन का हिस्सा दिया जाएगा। राम चबूतरा और सीता रसोई इसके हिस्से में शामिल होंगे। विवादित स्थल का बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाएगा। 30 सितबंर 2010 को सुनाई गए हाई कोर्ट के इस फैसले से कोई भी पक्ष खुश नहीं था, ऐसे में मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और 9 मई 2011 को कोर्ट ने इस संबंध में दायर की गईं याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार किया।

क्या है बड़े पक्षकारों की दलील?

रामलला विराजमान का कहना है कि जब हाई कोर्ट ने यह मान लिया कि मुसलमानों का जमीन पर दावा नहीं बनता तो फिर जमीन के बंटवारे का आदेश देना ठीक नहीं है। कमोबेश यही दलील निर्मोही अखाड़े की भी है। उधर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से कहा गया है कि जमीन पर उनके दावे को खारिज किया जाना गलत है। इसी तरह हिंदू महासङा के भी मुसलमानों को एक तिहाई जमीन दिए जाने के आदेश को गलत बताते हुए अपील दायर की है।

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