अस्त होता सूर्य देगा सेहत-धन का वरदान, होगी हर इच्छा पूरी

उगते सूर्य को अर्घ्य देना या प्रणाम करना तो आपने सुना होगा। क्या आप जानते हैं, अस्त होता सूर्य भी आपको मनचाहे वरदान दे सकता है। छठ एकमात्र ऐसा पर्व है, जब अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा रामायण और महाभारत काल से निभाई जा रही है। ज्योतिष विद्वानों का कहना है छठ के अंतिम दिन सूर्य को दिया गया अलग-अलग तरीके से अर्घ्य हर इच्छा को पूरी करता है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कह कर संबोधित किया गया है। सूर्य से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य ग्रह को रव‌िवार का स्वामी अौर अन्य ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्यदेव प्रत्यक्ष देवता हैं जो हमें प्रतिदिन दिखाई देते हैं। सूर्यदेव आदित्य और भास्कर जैसे कई दिव्य तेजस्वी नामों से जाने जाते हैं। सूर्य देव सारी सृष्टि के ऊर्जा और प्रकाश के कारक हैं। उन्हें प्रसन्न करना बेहद आसान है। वैदिक युग से भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता हैं। 

 

उपाय

कुशाग्र बुद्धि, शिक्षा और एकाग्रता बढ़ाने के लिए जल में नीले अथवा हरे रंग को मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

पितृ कृपा और अशीर्वाद के लिए जल में तिल और अक्षत मिलाकर सूर्य नारायण को चढ़ाएं।

 

आरोग्य और तंदुरूस्ती की चाहत है तो जल में रोली और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करें।

राज्य-संबंधी कार्यों की पूर्ति के लिए जल में लाल चन्दन डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।

 

विवाह में अड़चने आ रही हों या दांपत्य में तकरार रहती है, जल में हल्दी डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।

साफ-सुथरा जल चढ़ाने से प्रत्येक क्षेत्र में लाभ मिलता है।

 

सूर्य अर्घ्य मन्त्रः 

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।

 

छठ के अंतिम दिन रखें ध्यान

छठ व्रत के अंतिम दिन केवल नींबू पानी पीएं।

व्रत उपरांत एकदम से धान्य बीज और वसा युक्त भोजन न खाएं।

अंतिम अर्घ्य देने के बाद पहले प्रसाद बांटे, फिर स्वयं ग्रहण करें।

जलाशय को गंदा न करें, स्वच्छा का खास ख्याल रखें।

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