इस त्योहार पर यहां अपनी प्रजा से मिलने पाताल लोक से आते हैं राजा महाबली

ओणम खुशी, उत्साह और आनंद का त्योहार है। राजा महाबली के सम्मान में इस त्योहार को मनाया जाता है। इस त्योहार को फसल की उपज के लिए भी जाना जाता है। यह त्योहार नई उमंग, नई आशा लेकर आता है।

राजा महाबली केरल के राजा थे। उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी, संपन्न थी। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर तीन पग में उनका पूरा राज्य लेकर उनको पाताल लोक में भेज दिया। पाताल लोक में प्रस्थान से पूर्व राजा महाबली ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा के सुख-दुख जानने का अवसर दिया जाए। उनकी प्रार्थना स्वीकार हुई। कहा जाता है कि हर वर्ष श्रवण नक्षत्र में राजा महाबली अपनी प्रजा को देखने आते हैं। प्रजा भी इस दिन अपने प्रिय राजा की प्रतीक्षा करती है। इस दिन सुख और समृद्धि का ऐसा वातावरण प्रस्तुत किया जाता है, जिससे राजा महाबली को लगे कि उनकी प्रजा सुखी और प्रसन्न है। 

भगवान परशुराम को समुद्र में मिली भूमि कहलाती है केरल 
कहा जाता है कि जब भगवान परशुराम ने सारी पृथ्वी को क्षत्रियों से जीतकर ब्राह्मणों को दान कर दिया, तब उनके पास रहने के लिए कोई स्थान नहीं रहा। उन्होंने वरुण देवता की तपस्या की। वरुण देवता ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि आप अपना फरसा समुद्र में फेंकें। जहां तक फरसा समुद्र में गिरेगा, वहीं तक समुद्र का जल सूखकर पृथ्वी बन जाएगा। वह सब भूमि आपकी होगी और उसका नाम परशु क्षेत्र होगा। भगवान परशुराम जी ने ऐसा ही किया। जो भूमि उनको समुद्र में मिली, उसी को केरल कहा जाता है।

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