एक-दूसरे की जंग लड़ र‍हे ये पति-पत्‍नी, जानिए शॉटगन-पूनम व रंजीता-पप्‍पू की कहानी

पटना । संसद तक पहुंचने की लड़ाई अपने अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। बिहार में अंतिम चरण में आठ सीटों पर 19 मई को मतदान होना है। महत्वपूर्ण यह है कि इस चुनाव कई दिलचस्प नजारे मतदाताओं को देखने को मिले। एक और नजारा पटना में अंतिम दौर में नजर आ रहा है। पटना में एक सीट ऐसी भी है जहां पत्नी अपने पति की जीत के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। इसके पहले पति ने अपनी पत्नी के लिए भी खूब पसीना बहाया था। 
शत्रुघ्‍न सिन्‍हा के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहीं पत्‍नी पूनम
पटना साहिब के कांग्रेस प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा (शॉटगन) के पक्ष में उनकी पत्नी पूनम सिन्हा इन दिनों जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं। उम्मीदवार पति के खाने-पीने के इंतजाम के साथ ही वे यह भी देख रही हैं कि कहीं पार्टी का कोई प्रचारक, कार्यकर्ता नाराज तो नहीं हो गया। फोन से सारी जानकारी लेती हैं कि कहीं कोई कमी तो नहीं, कार्यकर्ता और पार्टी नेताओं को किसी किस्म की दिक्कत तो नहीं आ रही। और तो और, अपने पति की जीत सुनिश्चित करने के लिए वे खुद भी कंधे से कंधा मिलाकर पति के साथ प्रचार को निकल पड़ती हैं। घर-घर जाती हैं और हाथ जोड़कर पति के लिए वोट मांगती हैं। 

शत्रुघ्न ने भी पूनम के लिए किया ये काम 
इसके पहले शत्रुघ्न सिन्हा ने यही काम पूनम सिन्हा के लिए किया था। पूनम सिन्हा इस बार समाजवादी पार्टी के से लखनऊ की रणभूमि से किस्मत आजमा रही हैं। पति शत्रुघ्न सिन्हा ने तमाम विरोध के बावजूद अपनी पत्नी के पक्ष में लखनऊ में धुआंधार प्रचार किया और मंच से समाजवादी पार्टी व बहुजन समाजवादी पार्टी की तारीफ भी की। जो काम शत्रु ने पहले पत्नी पूनम के लिए किया, वही काम अब पत्नी पूनम अपने पति शत्रुघ्न के लिए कर रही हैं। 

रंजीता-पप्‍पू की जोड़ी ने भी एक-दूसरे के लिए किया प्रचार 
इस जोड़ी के अलावा एक और पति-पत्नी की जोड़ी भी है, जिन्होंने एक-दूसरे के लिए जमकर प्रचार किया। मधेपुरा सीट से जन अधिकार पार्टी (जाप) प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने सुपौल सीट पर कांग्रेस प्रत्‍याशी अपनी पत्नी रंजीत रंजन के पक्ष में कई सभाएं की । पत्नी रंजीत रंजन भी पीछे नहीं रहीं। तमाम विरोध सहते हुए वे अपने पति के लिए मधेपुरा पहुंची और उन्होंने भी कई सभाएं की।

अब मतगणना का इंतजार
बहरहाल, देखना यह होगा कि इन दो जोड़ी पति-पत्नी का चुनाव में सफलता या विफलता का ग्राफ कहां तक पहुंचता है। इसकी जानकारी लेने के लिए तो फिलहाल 23 मई को हानेे वाली मतगणना तक इंतजार के सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं।
 

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