ऑफिस में यौन उत्पीडऩ को लेकर सरकार सख्त, नए नियम लागू

नई दिल्ली : दफ्तर में होने वाले यौन उत्पीडऩ के मामलों को लेकर सरकार ने सख्त होते हुए नए नियम जारी किए हैं। नए निर्देश कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। इन निर्देशों के मुताबिक अब दफ्तरों में यौन उत्पीडऩ के मामलों में महिलाओं की शि‍कायतों का निपटान 30 दिनों के अंदर ही करना अनिवार्य कर दिया गया है। ज्यादातर मामलों में यह सामने आया है कि कार्यालय में यौन उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज उठाने या शिकायत दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ लोगों का बर्ताव बदल जाता है।

ऐसे में डीओपीटी ने पीड़िता के हितों की रक्षा को सुनिश्च‍ित करने का निर्देश जारी किया है और अगर महिला के आरोप साबित हो जाते हैं तो यह भी सुनिश्च‍ित करना होगा कि अगले 5 वर्षों तक पीड़िता प्रतिशोध का शिकार न बने। कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ कानून के तहत, जांच समिति को अब 90 दिनों के अंदर ही अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।

ऐसे मामलों की सुनवाई में होने वाली देरी को लेकर अक्टूबर 2016 में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने निराशा व्यक्त की थी और कहा था कि इसमें जल्द ही बदलाव होंगे और महिलाओं की शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई होगी। डीओपीटी के निदेशक मुकेश चतुर्वेदी ने बताया कि नए नियमों के तहत पीड़िता को किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जिस पर उसने आरोप लगाए हैं या जहां उसका उत्पीडऩ हो सकता है।

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