कमलेश तिवारी हत्‍याकांड: अशफाक और मोइनुद्दीन की गिरफ्तारी पर बोलीं कमलेश की मां- इन्हें मिले फांसी

लखनऊ. हिन्‍दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष कमलेश तिवारी (Kamlesh Tiwari) की मां कुसुम तिवारी (Kusum Tiwari) ने हत्यारोपियों के खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई पर संतुष्टि जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि अशफाक (Ashfaq) और मोइनुद्दीन पठान (Moinuddin pathan) की गिरफ्तारी और सरकार की कार्रवाई से वह संतुष्ट हैं. साथ ही उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि आरोपियों की फांसी की सजा दी जाए.

सरकार पर जताई थी नाराजगी

इससे एक दिन पहले मंगलवार को कुसुम तिवारी ने लखनऊ पुलिस पर संगीन आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया है. उनका कहना था कि जितने पुलिसकर्मी आज उनके साथ हैं, अगर उतने उनके बेटे के साथ होते तो आज उनका बेटा जिंदा होता. उन्होंने योगी सरकार से भी कड़ी नाराजगी जताई थी और कहा था कि अगर इंसाफ नहीं मिला तो बड़ा आंदोलन होगा.

बता दें कि कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में मंगलवार को गुजरात एटीएस की टीम ने फरार दो आरोपी अशफाक और मोइनुद्दीन पठान को गुजरात-राजस्थान बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों ने कमलेश तिवारी पर गोली चलाने और चाकू से हमला किया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. गिरफ्तारी के बाद डीआईजी (एटीएस गुजरात) हिमांशु शुक्ला का कहना था कि इन दोनों ने ही कमलेश पर हमला किया था. एटीएस का कहना था कि ये दोनों पाकिस्तान भागने की कोशिश में थे.

शामलाजी से हुई गिरफ्तारी

एटीएस के मुताबिक, दोनों मुख्‍य आरोपियों की लगातार खबर मिल रही थी. लेकिन दोनों मुख्‍य आरोपी लगातार अपनी लोकेशन बदल रहे थे. कई बार तो ऐसा हुआ कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही आरोपी होटल या धर्मशाला को छोड़ देते थे, लेकिन मुखबिरों के जरिए आरोपियों की लोकेशन लगातार मिल रही थी.

अपने फोन का नहीं किया इस्तेमाल

एटीएस के डीआईजी हिमांशु शुक्ला ने बताया कि जांच के दौरान ये पता चला है कि नागपुर से गिरफ्तार सैयद असीम अली पिछले डेढ़ साल से सूरत से गिरफ्तार आरोपियों रशीद, मोहसिन और फैज़ान के संपर्क में था. खास बात ये की इस डेढ़ साल के दौरान इन आरोपियों ने एक-दूसरे से बात करने के लिए कभी भी अपने फ़ोन का इस्तेमाल नहीं किया था.

सिम को तोड़कर फेंक देते थे

ये लोग हमेशा किसी दूसरे का फ़ोन मांगकर उसमें नया सिम डालकर बात करते थे. कभी-कभी तो सड़क चलते किसी का फ़ोन मांगकर उसमें नया सिम डालकर एक-दूसरे से बातचीत कर लेते थे. बातचीत खत्म होने के बात सिम को तोड़कर फेंक देते थे. आरोपियों के बीच हमेशा दो नए सिम से बातचीत होती थी. पुलिस को शक है कि इस तरह से आरोपियों ने सैकड़ों सिम कार्ड का इस्तेमाल बातचीत के लिए किया और फिर उन्हें तोड़कर फेंक दिया करते थे.
 

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