किसानों पर फिर मौसम की मार, आधा महाराष्ट्र सूखाग्रस्त

मुंबई . इतनी बारिश के बाद भी इस बार फिर आधा महाराष्ट्र सूखाग्रस्त है। राज्य के 36 जिलों में से 18 जिलों में 50 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है। सबसे बुरी स्थिति मराठवाडा और विदर्भ की है। इन जिलों में कम बारिश से राज्य के किसान एक बार संकटग्रस्त हैं। हालांकि मौसम विभाग ने इस बार राज्य में अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की थी लेकिन मौसम ने एक बार फिर किसानों को ठग लिया है। ठाणे, पालघर, नांदुरबार, नासिक और पुणे जिलों को छोड़ दिया जाए, तो करीबकरीब सभी कृषि प्रधान जिलों में कम बारिश हुई है। परिणामस्वरूप इस साल राज्य के कृषि उत्पादन में गिरावट तय मानी जा रही है।

जानकारी के मुताबिक 11 जिलों में 75 प्रतिशत के करीब बारिश दर्ज हुई है, जबकि 36 जिलों की 51 तहसीलों में 25 प्रतिशत से कम बारिश दर्ज की गई है। मौसम के इस रूठे मिजाज ने सोयाबीन और अरहर उत्पादक किसानों को लगभग बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है। इसके अलावा मूंग, उड़द और धान समेत अनाज और तिहलन की खेती का भी सत्यानाश हो गया है।

राज्य के 6 राजस्व संभागों में से सबसे बुरी स्थिति मराठावाडा क्षेत्र के औरंगाबाद संभाग की है। इस संभाग में 8 जिले आते हैं। इनमें से लातूर जिले में स्थिति भयावह है। लातूर जिले की 48 तहसीलों में से 15 में सिर्फ 25 प्रतिशत और 22 तहसीलों में 50 प्रतिशत बारिश होने की खबर है। विदर्भ क्षेत्र के राजस्व संभाग अमरावती में पांच जिले आते हैं। इनमें से सिर्फ बुलढाणा को छोड़कर बाकी सभी जिलों में स्थिति सूखाग्रस्त है। 56 में से 42 तहसीलों में 50 प्रतिशत ही बारिश हुई है। विदर्भ के ही नागपुर संभाग में 6 जिले आते हैं। यहां 53 तहसीलों में 50 प्रतिशत बारिश हुई है।

राज्य में सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत कृषि भूमि पर तिलहन, 30 प्रतिशत हिस्से पर अनाज और 22 प्रतिशत हिस्से पर दलहन की बुआई हुई थी, लेकिन बारिश की कमी से इनका उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होगा। इसी तरह औसतन 41 प्रतिशत हिस्से पर कपास उगाई गई थी, लिहाजा कपास का उत्पादन भी घटने की आशंका है।

आधार से लिंक होंगे दस्तावेज

 

सोमवार को मंत्रालय में राज्य में सूखा राहत को लेकर बैठक हुई है। इस बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणीस ने निर्देश दिया है कि सूखा राहत के वितरण के लिए पुख्ता काम किया जाए, ताकि हर किसान तक मदद का पहुंचना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए है कि किसानों के खेतों के दस्तावेज को आधार नंबर से लिंक किया जाए। सूखा नियोजन संहिता को लेकर हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री ने सूखा घोषित किए जाने के नियमों को तार्किक और लचीला बनाया जाए। सूखाग्रस्त भागों में फसलों को नुकसान का जायजा लेने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाए।

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