खिसकने लगी मोदी की जमीन, घर से हुई शुरुआत!

नई दिल्ली: लगातार तीन बार गुजरात का विधानसभा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे नरेंद्र मोदी की सियासी जमीन खिसकनी लगी है। इसकी शुरुआत गुजरात से हुई जो मोदी का गढ़ माना जाता है। 2012 के विधासभा चुनाव में 182 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा ने 115 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि कांग्रेस को 61 सीटें जीतीं थी। गुजरात की लगातार तीसरी जीत के बाद ही भाजपा के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान की जीत के द्वार खुले थे और मोदी केंद्र में सत्ता पर काबिज हो सके थे। लेकिन अब उसी गुजरात में भाजपा के खिलाफ माहौल बनने लगा है। 

दीयू नगर पालिका में हार
बीते दिनों दीयू नगर पालिका के चुनाव के दौरान कांग्रेस ने नगर पालिका की 13 में से 10 सीटें जीत ली हैं। दीयू नगर पालिका का चुनाव एक जुलाई को हुआ था जिसके नतीजे 3 जुलाई को सामने आए थे। हालांकि पहले भी इस नगर पालिका पर कांग्रेस का ही कब्जा था लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले हुए इन चुनावों में भाजपा जीत दर्ज करने की रणनीति बना रही थी जो सफल नहीं हो सकी और भाजपा को स्थानीय लोगों ने सम्मानजनक रूप से विपक्ष में भी नहीं बैठने दिया। 

भाजपा के गढ़ में व्यापारियों का अंदोलन
जीएसटी को लेकर यूं तो देश भर में व्यापारी आक्रोश में हैं लेकिन भाजपा के गढ़ सूरत में ये आक्रोश पूरे देश में सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। व्यापारियों ने न सिर्फ यहां श्रृंख्ला बध तरीके से धरने दिए बल्कि एक विशाल रैली भी निकाली। इस रैली ने भाजपा नेताओं खासतौर पर अमित शाह को चिंता में डाल दिया है। ये चिंता इसलिए भी बड़ी है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सूरत में विपक्षी पार्टी कांग्रेस का सफाया कर दिया था और सूरत जिले की 17 में से 15 सीटें भाजपा ने जीती थी। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सूरत की कमरेज, बरदोली, महुआ, निजार, उलपड़, सूरत नार्थ, वर्छा रोड, क्रांज, कत्तरगाम, सूरत वेस्ट, लिंबायत, उदना, मौजूरा, चौरासी विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा की जीती का ये सिलसिला 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कायम रहा और भाजापा ने 48.42 प्रतिशत वोट हासिल कर के सूरत की लोकसभा सीट भी जीत ली। 

कांग्रेस को हार्दिक पटेल का साथ
पाटीदार अंदोलन में से निकले हार्दिक पटेल का रूख कांग्रेस के प्रति सद्भाव वाला नजर आ रहा है। हालांकि शुुरुआती तौर पर ये माना जा रहा था कि हार्दिक पटेल अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ जा सकते हैं। लेकिन पंजाब चुनाव में आप की हार के बाद केजरीवाल का गुजारत में चुनाव लडऩे का सपना टूटा है और पार्टी ने गुजरात से दूरी बना ली है। लिहाजा पटेल के पास कांग्रेस के पास जाने का विकल्प बचता है क्योंकि गुजरात में कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी पार्टी है और उसका राज्य में अच्छा आधार है। पिछले चुनाव के दौरान चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस को 1 करोड़ 67लाख से ज्यादा वोट मिले थे और कांग्रेस कुल वोटों में से 38.93 प्रतिशत वोट ले गई थी। भाजपा और कांग्रेस की वोटों के बीच पिछली बार 9 फीसदी का अंतर था।

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