गिल की मौत पर कमरे में रोती रही मां,मोदी के सामने अाई अाखरी इच्छा

चंडीगढ़। सुपरकॉप' के.पी.एस.गिल की मां को जब उनकी मौत का पता लगा  तो वे फूट-फूट कर रोने लगी। भरे मन से उनका कहना था कि मेरी इच्छा थी कि मैं अपने बेटे से पहले मर जाऊ लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उसका बहादूर बेटा उससे पहले मौत को गले लगा गया।


दिल्ली न जा पाने के कारण वह चंडीगढ़ स्थित अपने घर के कमरे में ही आंखों में आंसू लिए बेटे की बचपन से लेकर अब तक की यादों में डूबी रहीं। इस मौके उन्होंने बताया कि उनका बेटा फैसले लेने में डरता नहीं था। इसी का नतीजा है कि आज पंजाब आतंकवाद मुक्त हवा में सांस ले रहा है।  उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है।

सतवंत कौर ने बताया कि गुजरात दंगों के बाद हालात काफी नाजुक हो चुके थे। उस समय  मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी गिल को अपना सुरक्षा सलाहकार बनाकर गुजरात ले गए और उन्हें राज्य में शांति बहाली की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी।  कौर ने बताया कि गिल के अनुसार मोदी कभी उनके फैसले में दखल नहीं देते थे। 


गिल की जिंदगी का एक राज

पंजाब में आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक के.पी.एस. गिल ने वृंदावन में रहकर यह लड़ाई लड़ी और ये थी टीबी की बीमारी से। ब्रज क्षेत्र को क्षय रोग से बचाने के लिए प्रोजेक्ट बलराम शुरू करने वाले गिल का वृंदावन से आत्मीय नाता रहा है। वह ब्रजभूमि की सेवाकर अपनी अमिट छाप छोड़ गए हैं।


पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने वाले 'सुपरकॉप' केपीएस गिल की एक आखिरी ख्वाहिश पता चली है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा करना चाहेंगे।  इस सुपरकॉप की आखिरी ख्वाहिश थी कि वह कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने में सहयोग दें। पंजाब के सीनियर आई.पी.एस. आई.जी.पी. एके पांडे  के अनुसार, अंतिम समय तक सुपरकॉप कश्मीर में आतंकी हालातों को लेकर विचलित रहते थे। गिल चाहते थे कि गुजरात की तरह उन्हें कश्मीर में आतंकवाद खत्म करने का मौका मिले, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और यही टीस लेकर गिल दुनिया से चले गए।

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