टॉयलेट एप के भरोसे रहे तो होना पड़ेगा शर्मसार!

भारत को स्वच्छ बनाना है और खुले में शौच की आदत को खत्म करना है. इसके लिए जरूरी है कि टॉयलेट बनाए जाएं और लोग उनका इस्तेमाल भी करें. यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते हैं और विज्ञापनों में अमिताभ बच्चन से लेकर विद्या बालन जैसे सितारे भी बताते हैं जहां सोच, वहां शौचालय.

स्वच्छता की इसी सोच को सहज और सुलभ बनाने के लिए बीते साल एक पहल हुई, जिसमें शहरी विकास मंत्रालय ने टॉयलेट लोकेटर एप लॉन्च किया. यानी आप यदि पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करना चाहें तो किसी दीवार, कोने या खुले स्थान की बजाए नजदीकी शौचालय का इस्तेमाल करें और उसका पता अपने मोबाइल में ढूंढे.

सोच तो अच्छी है मगर क्या यह शौचालय तक पहुंचाती है? इसी सवाल के साथ न्यूज18 ने शहरी विकास मंत्रालय के इस टॉयलेट लोकेटर एप का राजधानी दिल्ली और नोएडा में रिएलिटी चैक किया. मगर, जो नतीजे आए वो न स्वच्छता अभियान के लिए अच्छे हैं और न ही डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करते दिखाई देते हैं.

एप पर टॉयलेट ढूंढना सिरदर्द से कम नहीं

इस एप को टेस्ट करने के लिए हम होली फैमिली हॉस्पिटल ओखला रोड, दिल्ली पहुंचे. यहां पर आसपास टॉयलेट ढूंढने के लिए एप को ऑन किया तो कई लोकेशन्स दिखाई दीं. इसे देख एक बार को तो लगा कि शायद एप को अपडेट कर दिया गया है और अब सुलभ शौचालय आसानी से मिल जाएंगे.

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