डेथ सर्टिफिकेट के लिए आधार की अनिवार्यता पर सरकार की सफाई

सरकार की एक अधिसूचना में आज कहा गया कि आगामी एक अक्टूबर से मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने के लिये आधार नम्बर की जरूरत होगी लेकिन अनिवार्य नहीं.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले महापंजीयक कार्यालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि आवेदनकर्ता को मृतक का आधार नम्बर या एनरोलमेंट आईडी नंबर और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन में मांगी गई अन्य जानकारी मुहैया करानी होगी जिससे कि मृतक की पहचान स्थापित हो सके. डेथ सर्टिफिकेट के लिए यह जरूरी होगा, लेकिन अनिवार्य नहीं होगा.

अधिसूचना में कहा गया है कि यद्यपि यदि आवेदक को मृतक का आधार नंबर या एनरोलमेंट आईडी नंबर के बारे में पता नहीं है तो उसे इसका एक प्रमाणपत्र देना होगा कि उसकी जानकारी के अनुसार मृत व्यक्ति के पास कोई आधार नंबर नहीं है.

महापंजीयक कार्यालय ने कहा कि आधार के इस्तेमाल से मृतक के रिश्तेदारों/आश्रितों/परिचितों की ओर से दिए गए ब्योरे की सत्यता सुनिश्चित हो सकेगी. इससे पहचान संबंधी धोखाधड़ी पर भी लगाम लगाई जा सकेगी.  यह नियम जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय को छोड़कर बाकी सभी राज्यों के लोगों पर लागू होगा. जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय के लिए अलग से एक तारीख अधिसूचित की जाएगी.

अधिसूचना के मुताबिक, ‘इससे पहचान संबंधी धोखाधड़ी रोकने का प्रभावी तरीका ईजाद होगा. इससे मृत व्यक्ति की पहचान दर्ज करने में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा, मृत व्यक्ति की पहचान साबित करने के लिए ढेर सारे दस्तावेज प्रस्तुत करने की जरूरत भी नहीं रह जाएगी.’

महापंजीयक ने सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि संबंधित पंजीकरण अधिकारियों से इसका पालन सुनिश्चित करने को कहा जाए और एक सितंबर से पहले इसकी पुष्टि भेजी जाए.

अधिसूचना में कहा गया कि यदि आवेदक की ओर से कोई गलत जानकारी दी जाएगी तो इसे आधार अधिनियम और जन्म एवं मृत्यु अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराध माना जाएगा. मृतक के पति या पत्नी या माता-पिता के आधार नंबर के साथ-साथ आवेदक का आधार नंबर भी मांगा जाएगा.

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