डोकलाम: एक्सपर्ट्स की राय, युद्ध से कुछ हासिल नहीं कर पाएगा चीन
नई दिल्ली . डोकलाम विवाद की परिणति अगर युद्ध के तौर पर होती है तो भी चीन कुछ हासिल नहीं कर पाएगा। एक्सपर्ट्स का माना है कि युद्ध की स्थिति में चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ जाएगा। ऐसे में, चीन द्वारा लगातार की जा रही बयानबाजी के बावजूद बने हुए कूटनीतिक संबंध भी खतरे में पड़ जाएगा।
शीर्ष सरकारी स्तर पर किए गए मुल्यांकन के मुताबिक डोकलाम या भारत-चीन सीमा पर दूसरी समस्याओं से अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो चीन को कोई प्रत्यक्ष सामरिक लाभ नहीं मिलने वाला। अब किसी भी सशस्त्र संघर्ष में तय करना मुश्किल होगा कि जीता कौन या हारा कौन।
भारत-चीन की 3488 किमी लंबी सीमा का बड़ा हिस्सा विवादित है। दोनों पक्षों में यहां अक्सर टकराव की आशंका बनी रहती है। हालांकि टकराव की स्थिति में दोनों पक्षों में से किसी को भी स्पष्ट बढ़त हासिल नहीं है। अगर डोकलाम की बात करें तो यहां की भौगोलिक परिस्थिति की वजह भारत को ज्यादा बेहतर स्थिति और खास मिलिटरी अडवांटेज है।
हालांकि भारत सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में चीन से पीछे है लेकिन युद्ध की स्थिति में यह असमानता चीन के लिए खास फायदेमंद नहीं होगी। भारत भी अब 1962 की स्थिति से आगे निकल गया है। ऐसे में दोनों ही सेनाओं को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। विशेषज्ञों ने दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को भी युद्ध नहीं होने देने की एक वजह के रूप में बताया है।
भारत और चीन के बीच 700 करोड़ डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार होता है, जो युद्ध नहीं होने देने की वजह बन सकता है। इसका उदारण चीन और जापान के संबंधों में भी मिलता है। आर्थिक संबंध होने के बाद भी सिंकाकू द्वीप को लेकर चीन और जापान के संबंध खराब हुए लेकिन दोनों पक्षों ने पूर्वी चीन सागर में सैन्य टकराव से परहेज किया।