डोकलाम: एक बार फिर आमने-सामने भारत और चीन के सैनिक, बढ़ सकती है तनातनी

एक बार फिर डोकलाम संकट गहराने के आसार बनते दिख रहे हैं। चीन ने डोकलाम में सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा दी है। ड्रैगन ने यह कहते हुए सैनिकों की मौजूदगी का बचाव किया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान अपनी संप्रभुता का रक्षा के लिए डोकलाम में गश्त लगा रहे हैं। 

इस बीच, नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘डोकलाम में दोनों देशों के बीच तनाव वाली जगह पर कोई नया घटनाक्रम सामने नहीं आया है। वहां 28 अगस्त को पीछे हटने के बाद की स्थिति बनी हुई है। इस बारे में कोई भी सूचना सही नहीं है।’

इससे पहले, सैनिकों की मौजूदगी बढ़ाए जाने के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि डोंगलांग (डोकलाम) हमेशा से उनके देश का हिस्सा रहा है। यह चीन के अधिकार क्षेत्र में आता है। डोकलाम में कोई विवाद नहीं है। 

चीन के सीमा सुरक्षा दल डोंगलांग में गश्त लगा रहे हैं। वह अपने संप्रभुता के अधिकार का पालन कर रहे हैं। ऐतिहासिक सीमा होने के चलते क्षेत्रीय हितों की रक्षा की जा रही है।

पिछली बार पीएलए के डोकलाम में भूटान के क्षेत्र में सड़क बनाने के प्रयास के बाद भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। 16 जून से शुरू हुई यह तनातनी 73 दिन तक चली। 28 अगस्त को दोनों देश सेनाएं पीछे हटाने पर सहमत हुए। 

हालांकि इस दौरान लगातार आक्रामक रवैये के बावजूद बीजिंग को सेना पीछे हटाने पर सहमत होना पड़ा था। इससे उसे खासी कूटनीतिक किरकिरी झेलनी पड़ी थी।

उधर, डोकलाम विवाद के बाद विदेश सचिव एस जयशंकर के भूटान दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन और भूटान के बीच भले ही राजनयिक संबंध न हों लेकिन दोनों देशों के बीच पारंपरिक मित्रवत रिश्ते हैं। 

चीन हमेशा भूटान की संप्रभुता एवं स्वतंत्रता का सम्मान करता है। दूसरे देशों को भी भूटान की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए तथा उसके साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंध विकसित करने चाहिए। इससे क्षेत्रीय देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ेगा। 

इससे पहले, बृहस्पतिवार को वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा था कि चीनी सैनिक लगातार चुंबी घाटी में बने हुए हैं। यह इलाका डोकलाम पठार के तहत आता है। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान दोनों देशों के हितों में है। 

धनोआ ने कहा, ‘जैसा कि कहा जा रहा है, दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने नहीं हैं। हालांकि वे अभी भी चुंबी घाटी में मौजूद हैं। एक बार उनका सैन्य अभ्यास खत्म हो जाने के बाद मैं उनके पीछे हटने की उम्मीद करता हूं।’
 

कमांडर्स कांफ्रेंस में छाया रहेगा चीन विवाद

एक बार फिर डोकलाम में चीनी हलचल बढ़ने की खबरों और जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति के बीच सोमवार से शुरू होने जा रही सेना के शीर्ष कमांडरों की कांफ्रेंस में इन मुद्दों के छाए रहने की संभावना है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सप्ताह भर तक चलने वाली कांफ्रेंस में सभी संभावित खतरों और डोकलाम की स्थिति पर चर्चा होगी।

स्टाफ ड्यूटी महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विजय सिंह ने कहा कि सेना के कमांडर मौजूदा और उभरते हालात तथा संचालन एवं रसद से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे। भारत की सुरक्षा से जुड़े सभी विषयों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस कांफ्रेंस को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी संबोधित करेंगी।

Leave a Reply