तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई : जानें अदालत ने क्या-क्या कहा
नई दिल्ली
तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने गुरुवार से ऐतिहासिक सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने कहा कि वह इस बात पर विचार करेगा कि क्या ट्रिपल तलाक मुसलमानों के मूल अधिकार का हिस्सा है? चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि वह यह भी देखेगी कि क्या तीन तलाक लागू किए जाने योग्य मूलभूत अधिकार का हिस्सा है? हालांकि, अदालत ने शुरुआत में ही साफ कर दिया कि वह बहुविवाह के मुद्दे पर विचार नहीं करेगी। कोर्ट ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि बहु विवाह का मुद्दा ट्रिपल तलाक से संबंधित नहीं है। मामले पर जिरह के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अगर ट्रिपल तलाक इस्लाम का मूलभूल हिस्सा होता तो बहुत सारे मुस्लिम देशों ने इस पर बैन नहीं लगाया होता। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह उन कानूनों पर नजर डालेगा, जिन्हें ट्रिपल तलाक बैन करने वाले देशों ने लागू किया है।
अदालत में दाखिल विभिन्न याचिकाओं में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह को मूलभूत अधिकारों का हनन बताया गया है। कोर्ट ने कहा, 'अगर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि ट्रिपल तलाक धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े मौलिक अधिकार का हिस्सा है तो हम कोई दखल नहीं देंगे।' वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस नरीमन ने कहा कि एक बार में तीन तलाक देने के मुद्दे पर अदालत विचार करेगी। तीन महीने के अंतराल पर दिए जाने वाले तलाक पर विचार नहीं किया जाएगा। बता दें कि इस मामले पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में जस्टिस कुरियन जोसफ, आरएफ नरीमन, यूयू ललित और अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। सभी जज अलग-अलग धर्म से ताल्लुक रखते हैं।
सुनवाई के लिए छह दिन तय
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए छह दिन तय किए। तीन दिन उनके लिए जो ट्रिपल तलाक को चुनौती दे रहे हैं और तीन दिन उनके लिए जो इसका बचाव कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि मामले से जुड़े विभिन्न पक्षों को बेंच द्वारा तय किए गए दो सवालों पर जिरह करने के लिए दो-दो दिन मिलेंगे। इसके अलावा, एक दिन प्रतिवाद करने के लिए भी एक दिन मिलेगा। अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि दलीलों को दोहराए जाने पर वह वकीलों को रोक देगा। कोर्ट ने कहा, 'हर पक्ष जो भी दलील देना चाहे, दे सकता है लेकिन किसी तरह का दोहराव नहीं होना चाहिए। वकीलों को ट्रिपल तलाक की वैधता के विषय पर फोकस करना होगा।'
सलमान खुर्शीद ने कहा-ट्रिपल तलाक नॉन इशू
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को इस मामले की सुनवाई में अमीकस क्यूरी के तौर पर कोर्ट की मदद करने की मंजूरी दी है। खुर्शीद ने कोर्ट में कहा कि ट्रिपल तलाक कोई मुद्दा ही नहीं है क्योंकि पति और पत्नी के बीच समझौते की कोशिशों के बजाए इसे पूरा ही नहीं माना जाता। बिना सुलह की कोशिशों के तलाक को पूरा ही नहीं माना जाएगा। इसपर कोर्ट ने खुर्शीद से जानना चाहा कि क्या तीन तलाक देने के बाद सुलह की कोशिश को इस व्यवस्था का हिस्सा बनाया गया है? खुर्शीद ने ना में जवाब दिया। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ क्या है? क्या इसका मतलब शरीयत है या कुछ और? खुर्शीद ने अदालत में यह भी बताया कि अगर कोई शख्स एक बार भी तलाक बोल देता है और अगले तीन महीनों में इसे वापस नहीं लेता तो यह एक वैध तलाक होगा। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने वकील कपिल सिब्बल के जरिए खुर्शीद की उस दलील का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने तलाक को नॉन-इशू करार दिया था।