दर्शक करेगा ‘बुंदेलखंड से जापान’ तक की यात्रा

देश भर में अपने कला-कर्म और नवाचारों के लिए जानी जाने वाली भोपाल की संस्था ‘विहान’ 27 और 28 मई को अपने कला समारोह ‘आरोह’ का आयोजन करने जा रही है| ‘आरोह’ के इस छटवें संस्करण की विशेषता है सौरभ अनंत निर्देशित दो प्रमुख नाटकों की 30वीं प्रस्तुति| विहान के कलाकार अपने लोकप्रिय नाटक ‘हास्यचूडामणि’ और ‘तोत्तो चान’ के साथ देश भर में अनेक यात्राएं का चुके हैं और अपने नाटकों की तीसवीं प्रस्तुति के लिए तैयार है| गौरतलब है कि बहुत कम समय में ही विहान के इन दोनों नाटकों को देश भर में अत्यंत सराहना मिली है और देश के अनेक प्रतिष्ठित समारोहों और मंचों पर इनकी प्रस्तुति दी जा चुकी है| ‘हास्यचूडामणि’ और ‘तोत्तो चान’ के साथ विशेष बात यह भी है कि इन नाटकों की प्रस्तुतियाँ सिर्फ समारोहों में ही नहीं हुई है बल्कि विहान के कलाकारों ने इन नाटकों को गाँवों, कस्बों और जिलों में भी लगातार 15 दिन की यात्राएं करते हुये भी मंचित किया है| 

गौरतलब है कि नाटक ‘हास्यचूडामणि’ और ‘तोत्तो चान’ के कलाकारों ने छोटे गाँवों-शहरों से लेकर बड़े शहरों तक, कम से कम और ज़्यादा से ज़्यादा उपलब्ध सुविधाओं में प्रस्तुतियाँ दी हैं| साथ ही हर तरह के दर्शक वर्ग के लिए विशेष रूप से इन नाटकों की सफल प्रस्तुतियाँ प्रमुख उपलब्धि है| ‘हास्यचूडामणि’ और ‘तोत्तो चान’ की तीसवीं प्रस्तुति के अवसर पर आयोजित आरोह-6 के विषय में नाटक के निर्देशक सौरभ अनंत ने बताया, “हमारी पूरी टीम के लिए ये दो नाटक सिर्फ नाटक नहीं हैं बल्कि जीवन के मत्वपूर्ण पड़ाव की तरह है| एक ओर ‘हास्यचूडामणि’ ने हमें नाटक करना सिखाया है जिसमें लोक की लयकारी और खेल के साथ संस्कृत नाटक की परंपरा का अनुशासन है| वहीं दूसरी ओर ‘तोत्तो चान’ ने हमें जीवन, शिक्षा और मानवता के मायने महसूस कराये हैं| इन दोनों नाटकों का एक साथ अपनी तीसवीं प्रस्तुति तक पहुंचाना, वह भी इतने कम समय में, मेरे लिए जितना गर्व का विषय है उतना ही दर्शकों के प्रति आभार जताने का भी मौका है जिन्होंने लगातार हमें प्रेम और विश्वास दिया है| इन दोनों नाटकों की पहली प्रस्तुति हमने भोपाल में दी थी और अब तीसवीं प्रस्तुति के अवसर पर फिर भोपाल में इन्हें मंचित करते हुए विहान के सभी कलाकार बहुत उत्साहित हैं” 

‘हास्यचूडामणि’ 
‘हास्यचूडामणि’ की पहली प्रस्तुति 30 दिसंबर 2014 को भारत भवन, भोपाल में कालिदास अकादमी, उज्जैन द्वारा आयोजित एक दिवसीय समारोह में दी गयी थी| ‘हास्यचूडामणि’ मूलतः महामात्य वत्सराज द्वारा रचित 11वीं शताब्दी का संस्कृत प्रहसन है जिसे सौरभ अनंत के निर्देशन में बुन्देली पृष्टभूमि में तैयार किया गया है| इस नाटक में लोक और संस्कृत परम्परा का विधान प्रतिबिम्बित होता है जो इस नाटक की विशेषता है| ‘हास्यचूडामणि’ के साथ विहान ने मध्यप्रदेश के अनेक छोटे-बड़े शहरों में 10 दिनों की यात्रा करते हुए प्रस्तुतियाँ दी हैं| साथ ही पंजाब के अलग-अलग शहरों में विशेष रूप से विहान के नाटकों पर आयोजित समारोह में भी इस नाटक की प्रस्तुति दी गयी है| उदयपुर, जयपुर, पटना, बिकानेर, जबलपुर जैसे शहरों के हिन्दी भाषी दर्शकों के अलावा इस नाटक ने कर्नाटक के टुमकुरु के दर्शकों की भी सराहना हासिल की है| संगीत नाटक अकादेमी द्वारा दिल्ली में आयोजित समारोह ‘भारत उत्सव’, राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय द्वारा सांगली में आयोजित ‘क्लासिकल ड्रामा फेस्टिवल’ और 2018 में भारत में आयोजित ‘द थिएटर ओलंपिक’ के अंतर्गत चंडीगढ़ में ‘हास्यचूडामणि’ की प्रस्तुति विशेष उपलब्धि है| 

‘तोत्तो चान’
नाटक ‘तोत्तो चान’ की पहली प्रस्तुति 23 मार्च 2017 को भारत भवन, भोपाल में हुई थी| यह नाटक सुप्रसिद्ध जापानी अभिनेत्री, लेखिका और यूनिसेफ की गुड्विल एम्बैसेडर तेत्सुको कुरोयानागी के आत्मकथात्मक उपन्यास पर आधारित है| यह नाटक प्राथमिक शिक्षा और युद्ध पर बात करता हुआ एक जीवंत नाटक है जिसमें मुख्य किरदार तोत्तो-चान का अभिनया करने वाली कलाकार 7 वर्ष की बच्ची है| अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से इस नाटक के साथ विहान के कलाकारों नें छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के अनेक छोटे-बड़े शहरों में यात्राएं की हैं| राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय के बाल रंगमंच इकाई द्वारा दिल्ली में आयोजित जश्न-ए-बचपन में ‘तोत्तो चान’ की प्रस्तुति विशेष उपलब्धि है| साथ ही ‘तोत्तो चान’ के साथ विहान के कलाकारों ने उत्तराखंड में भी यात्रा करते हुए अनेक नाट्य प्रस्तुतियाँ दी हैं| साथ ही भोपाल के रिजनल इंस्टीट्यूट के निवेदन पर वहाँ के भावी शिक्षाविदों के साथ इस नाटक की कार्यशाला के अंतर्गत ‘तोत्तो चान’ की दो प्रस्तुतियाँ दी गयी हैं|

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