दलितों, महिलाओं के खिलाफ बढ़े अपराध

महिलाओं और दलितों के अधिकारों की रक्षा करने के चाहे जितने दावे किए जाएं लेकिन हकीकत ये है कि उनके खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं. गृह मंत्रालय ने मंगलवार को इससे संबंधित एक रिपोर्ट लोकसभा में रखी.

बीजेपी सांसद उदित राज के एक सवाल पर केंदीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने बढ़ते अपराध का आंकड़ा दिया है, जिसमें 2014 से 2016 में हुए अपराधों की तुलना की गई है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में अनुसूचित जाति के लोगों पर 47,064 अपराध हुए थे. जो 2016 में बढ़कर 49,573 हो गए हैं. 2014 में अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की हत्या के 704 केस आए थे जो 2016 में बढ़कर 787 हो गए हैं.

दलित महिलाओं की इज्जत खराब करने की नीयत से उन पर हमले के 2346 मामले 2014 में आए थे जो 2016 में बढ़कर 3172 हो गए हैं. हत्या के प्रयास के मामले 420 से बढ़कर 733 हो गए हैं.  महिलाओं के खिलाफ भी अपराध घटने की जगह बढ़ गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में महिलाओं के प्रति अपराध के कुल 3,40,826 केस दर्ज किए गए थे. जो 2016 में बढ़कर 3,51,948 हो गए हैं.

2014 में महिलाओं पर तेजाब से हमले के 137 केस दर्ज किए गए थे जो 2016 में बढ़कर 167 हो गए हैं. महिला की सहमति के बगैर गर्भपात करवाने के मामले 45 से बढ़कर 2016 में 451 हो गए हैं. भ्रूण हत्या के मामले 107 से बढ़कर 136 तक पहुंच गए हैं. नाबालिग लड़कियों की खरीद-फरोख्त के केस भी काफी बढ़ गए हैं.

गृह राज्य मंत्री अहीर ने कहा है कि कानून एवं व्यवस्था कायम रखने और नागरिकों के जान-माल की रक्षा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है. राज्य सरकारें ऐसे अपराधों से निपटने में सक्षम हैं.

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