नेपाल को लेकर फिर जोर पकड़ रही ये मांग !

काठमांडूः नेपाल को एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। नेपाल में राजशाही ख़त्म होने के बाद संवैधानिक व्यवस्था की नींव पड़ने के साथ ही नेपाल एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के तौर पर स्थापित हुआ। इससे पहले राजशाही के दौरान साल 2008 तक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था। नेपाल में अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा हिंदू आबादी रहती है। वर्ल्ड हिंदू फैडरेशन इंटरनैशनल की सचिव अस्मिता भंडारी कहती हैं, "नेपाल की एक पुरानी संस्कृति है। सनातन से नेपाल एक हिंदू अधिराज्य है. नेपाल में हिंदू राजा था और वो दौर सब के लिए बेहतर था।"

इधर भारत में भाजपा के सत्ता पर काबिज होने और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यराज के आने के बाद नेपाल के फिर से हिंदू राष्ट्र बनने की मांग जोर पकड़ रही है।
अस्मिता कहती हैं, "योगी आदित्यराज के मुख्यमंत्री बनने के बाद हम काफी उत्साहित है. वो बार-बार नेपाल आकर नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने का आह्वान करते हैं।"
नेपाल के हिंदू संगठनों के साथ-साथ सत्तारूढ़ दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी भी लोकतंत्र की बजाए हिंदू राष्ट्र का समर्थन कर रही है। 

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता दीपक भंडारी कहते हैं, "82 लोग नेपाल में हिंदू हैं, इसलिए हमारा मानना है कि नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहिए। हमारी मुल्क की पहचान पूरे विश्व में इसी रूप में है।" लेकिन नेपाल की बड़ी पार्टियां नेपाल कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी कहती है कि लंबी जद्दोजेहद के बाद संविधान का निर्माण हो सका है।नेपाली संसद की स्पीकर और कम्युनिस्ट पार्टी की नेता अनासारी घरती का कहना है, "हम सभी धर्मों को बराबरी का दर्जा देते है। कुछ लोग हिंदुत्व के बहाने दोबारा से नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं।"

देश के नए संविधान के मुताबिक अगले कुछ महीनों में देश में लोकसभा का चुनाव होने वाला है। इससे एक नई हुकूमत लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आएगी।
नेपाल में राजशाही से लोकतंत्र का सफर लंबा और मुश्किल भरा रहा है। नेपाल में लोकतंत्र में यकीन रखने वाली ताकतों का कहना है कि हिंदू राष्ट्र के नारे से देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।

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