पंचकूला हिंसा के बाद 24 दिन बठिंडा में छिपी रही थी हनीप्रीत, पनाह देने वाले अरेस्ट

बठिंडा. पंचकूला में 25 अगस्त के दंगे के बाद 39 दिन फरार रही हनीप्रीत 24 दिन तक बठिंडा के गांव जंगी राणा में महिंद्रपाल सिंह के घर में रही थी। हनीप्रीत के साथ पकड़ी सुखदीप कौर ने गांव में अपनी बुआ शरणजीत कौर के पास उसे छुपाया था। इधर शरणजीत कौर ने दावा किया कि हनीप्रीत और सुखदीप कौर उनके घर में हफ्ता ही रहीं, लेकिन पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि वह झूठ बोल रही हैं। उन्होंने 9 सितंबर से 2 अक्टूबर तक हनीप्रीत को घर में रखा था। इस बारे में पुख्ता सबूत मिलने के बाद एसआईटी ने सोमवार रात गांव में रेड कर शरणजीत कौर और उसके बेटे गुरप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया। वहां से निकलने के बाद 2 अक्टूबर को दिया था इंटरव्यू…

 

– 25 अगस्त को हिंसा के बाद से हनीप्रीत अचानक गायब हो गई थी। वह कहां छिपी थी ये किसी को नहीं पता था। पुलिस ने उसकी तलाश के लिए नेपाल सीमा तक जांच की, लेकिन कुछ पता नहीं चला।

– दरअसल हनीप्रीत इस दौरान बठिंडा में 24 दिन ठहरने के बाद बाहर निकली तो 2 अक्टूबर की रात एक चैनल को इंटरव्यू दिया। इसमें उसने सरेंडर करने की बात कही थी। अगले दिन सुबह हरियाणा पुलिस ने दावा किया कि हनीप्रीत को हरियाणा पुलिस की एसआईटी ने जीरकपुर के पास से पकड़ा है।

– इससे पहले हरियाणा पुलिस ने 11 अक्टूबर को जंगीराणा में रेड कर परिवार से पूछताछ की थी और इसी दिन डेरा सपोर्टर महिंदर पाल सिंह को भी इसी गांव से पकड़ा था। एसीपी मुकेश मल्होत्रा ने बताया "दोनों आरोपियों के घर में ही हनीप्रीत रुकी थी। इससे पहले भी 11 अक्टूबर को निशानदेही के लिए उसे बठिंडा ले जाया गया था।"

सवालों के जवाब में उलझे शरणजीत और गुरप्रीत

– बठिंडा के जंगी राणा में रहने वाली सुखदीप की बुआ शरणजीत कौर और गुरप्रीत सिंह को एसआईटी हरियाणा ने जांच में शामिल होने के लिए पंचकूला बुलाया था। जांच के दौरान एसआईटी की तरफ से पूछे गए सवालों का जबाव देने में दोनों नाकाम रहे।

– इसमें शरणजीत कौर ने एसआईटी को बताया कि हनीप्रीत जंगीराणा में केवल 7 दिन रही। जबकि, गुरप्रीत सिंह ने कहा कि जब हनीप्रीत उनके घर उसकी बहन सुखदीप कौर के साथ आई थी तो वह उन्हें नहीं जानते थे। बाद में उन्हें मीडिया रिपोर्ट के बाद पता चला कि वह हनीप्रीत है तो 7 दिन बाद उन्हें वहां से जाने के लिए कह दिया था।

– इस बारे में एसआईटी ने बताया कि सुखदीप और हनीप्रीत कबूल कर चुकी है कि गिरफ्तारी से पहले वह करीब 25 दिन तक जंगीराणा में रही है तो दोनों घबरा गए और दूसरे पूछे गए जवाबों में उलझ गए। इसके बाद दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले 11 अक्टूबर को जंगीराना में हरियाणा पुलिस ने छापामारी की थी।

चार लोगों पर थीजिम्मेदारी

– गोपाल, गुरजीत, सुखजीत पर हनीप्रीत को हनीप्रीत को जंगी राणा में छिपाने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है।

– एसआईटी की पूछताछ में गोपाल, गुरजीत, सुखजीत कौर और लालचंद ने खुलासा किया कि हनीप्रीत और सुखदीप को सेफ जगह छिपाने की जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी।

– गोपाल पर पंचकूला हिंसा में शामिल होने का भी आरोप है। वहीं लालचंद राम रहीम को भगाने की साजिश में आरोपी है।

हिंसा भड़काने और भीड़ जुटाने सबसे ज्यादा पैसा बठिंडा, मानसा भेजा गया था

– गिरफ्तार किए लोगों ने एसआईटी के सामने कबूल किया है कि डेरा सच्चा सौदा द्वारा हिंसा फैलाने का भी पहले से प्लान तय कर दिया गया था। राम रहीम ने खुद पर चल रहे केस में पेशी से पहले 25 अगस्त को पंचकूला में हिंसा भड़काने और लोगों की भारी भीड़ जुटाने के लिए 5 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

– पंजाब में भी डेरा सपोटर्स और अनुयायियों की भीड़ इकट्ठी करने के लिए करोड़ों रुपए भेजे गए थे। इसमें सबसे ज्यादा पैसा बठिंडा और मानसा में भेजा गया था। डेरा सपोर्टर्स की बठिंडा और मानसा में ज्यादा तादाद है।

– साथ ही डेरा मैनेजमेंट से जुड़े लोगों को उम्मीद थी कि यहीं से सबसे ज्यादा डेरा प्रेमी पंचकूला में पहुंचेंगे। साथ ही डेरा प्रेमियों को पंजाब से पंचकूला भेजने और उनके खाने-पीने से लेकर ठहरने और आने-जाने के इंतजाम के लिए बसों और गाड़ियों के लिए यह रकम खर्च की जानी थी।

– इतना ही नहीं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आ रहे डेरा सपोर्टर्स को किराये के तौर पर पैसे देने के लिए ये रकम डेरा सिरसा हेडक्वार्टर्स की तरफ से बठिंडा के साथ मालवा के कई डिस्ट्रिक्ट में भेजी गई थी।

ऐसे समझे पूरा मामला

– 25 अगस्त को पंचकूला दंगे के फरार हुई हनीप्रीत

– 09 सितंबर से 02 अक्टूबर यानी 24 दिन बठिंडा में छुपी रही।

– 02 अक्टूबर को एक न्यूज चैनल में इंटरव्यू दिया।

– 03 अक्टूबर को हरियाणा पुलिस की एसआईटी द्वारा जीरकपुर के पास से गिरफ्तार।

– अब सवाल ये है कि 25 अगस्त से 09 सितंबर तक यानी गायब रहने के 38 दिनों में से 14 दिन कहां रही?

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