पंजाब के कांग्रेस विधायकों की मांग, सैलरी हो 3 से 4 लाख रुपए प्रतिमाह

पंजाब के कांग्रेस मंत्री और विधायक ये मांग कर रहे हैं कि उनकी सैलरी बढ़ाई जाए. कांग्रेस विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी के अनुसार "कम से कम 4 लाख रुपए सैलरी होनी चाहिए". इसके अलावा परगट सिंह जो कांग्रेस के ही विधायक हैं, उन्होंने कहा कि विधायक को भी सातवें पे कमीशन के हिसाब से उतनी ही सैलरी मिलनी चाहिए जैसे कि चीफ सेक्रेटरी और आईएएस अफसरों को मिलती है. और अगर हमें इतनी सैलरी नहीं मिल सकती तो इन तमाम लोगों की सैलरी भी नहीं बढ़नी चाहिए. कांग्रेस के ही कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा कि "एक विधायक की सैलरी कम से कम 5 लाख रूपये तो होनी चाहिए".

पंजाब में 10 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस के विधायक और मंत्री ये मांग कर रहे हैं कि उनका वेतन और रैंक पंजाब के चीफ सेक्रेटरी और आईएएस के बराबर है तो ऐसे में उनके वेतन में बढ़ोतरी की जानी चाहिए. और अभी उन्हें जो वेतन और भत्ते मिलाकर तकरीबन 93 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं, वो काफी कम है और इसमें इजाफा करके उनका वेतन चार से 5 लाख रुपए प्रति महीना कर दिया जाना चाहिए.

कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों का कहना है कि रोजाना उनसे मिलने करीब 500 से 600 लोग उनके विधानसभा क्षेत्र के दफ्तर में आते हैं और ऐसे में हर आने-जाने वाले को चाय-पानी और नाश्ता भी करवाना होता है. और इसके इलावा एक विधायक को इलाके के कई कार्यक्रमों, शादी-ब्याह जैसे मौके पर अपनी जेब से पैसा शगुन और तोहफे के तौर पर भी देना पड़ता है और ऐसे में एक विधायक के लिए इन तमाम कामों के साथ अपना घर चलाना इतनी सैलरी में आसान नहीं है.

 

लेजिस्लेटिव मेंबर एक्ट 1942 में संशोधन कर बढ़ेगी सैलरी

लेकिन विधायकों को ये सैलरी कम लग रही है इसी वजह से पंजाब लेजिस्लेटिव मेंबर एक्ट 1942 में संशोधन करके विधायकों का वेतन बढ़ाने की तैयारी चल रही है. हालांकि खुलकर पंजाब सरकार अभी इस पर कुछ नहीं बोल रही है. पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि अगर वेतन बढ़ाने का कोई भी फैसला लिया जाएगा तो वो विधानसभा की कमेटी की तरफ से लिया जाएगा और उसमें सरकार का कोई भी दखल नहीं होगा. लेकिन मनप्रीत बादल ने ये बात नहीं मानी कि पंजाब की वित्तीय हालत इस वक्त बेहद खस्ता है और विधायकों की सैलरी अभी नहीं बढ़नी चाहिए.

विधायकों की ओर से वेतन बढ़ोतरी की मांग ने हाल ही में तब जोर पकड़ा है जब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपने सलाहकारों के वेतन में 3 गुना से भी ज्यादा वृद्धि करके अपने सलाहकारों का वेतन करीब सवा लाख से डेढ़ लाख के बीच कर दिया है. इसी वजह से विधायकों को भी लगता है कि उनकी सैलरी बढ़नी चाहिए और सैलरी बढ़ाने की मांग सीधा सत्ता में बैठी कांग्रेस के विधायकों की तरफ से ही उठ रही है.

 

वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा की एक ओर तो सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार सूबे की खस्ता हालत की बात कर किसानों और अन्य लोगों के लिए कोई भी ऐलान नहीं कर रही है और वहीं अपने विधायकों की सैलरी बढ़ाने की बात कर रही है. प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि अकाली दल इस तरह की किसी भी सैलरी बढ़ोतरी का विरोध करता है और अभी जो पंजाब की खस्ता वित्तीय हालत है ऐसे में विधायकों की सैलरी बढ़ाने के बारे में बात ही नहीं की जानी चाहिए.

सीएम ने अपने सलाहकारों की सैलरी की तीन गुना

वहीं इस सब के उलट आम आदमी पार्टी का कहना है कि पंजाब के विधायकों की सैलरी तो नहीं बढ़नी चाहिए, लेकिन उन्हें अलग से हर साल करीब 3 करोड़ रुपए का फंड मिलना चाहिए जिसे वो अपने इलाके में इस्तेमाल कर सकें. सैलरी को लेकर आम आदमी पार्टी के विधायकों का कहना है कि उनकी सैलरी काफी है और अगर सैलरी बढ़ती है तो विधायकों की नहीं बल्कि पंजाब में बेहद ही मामूली सैलरी पर काम कर रहे कई सरकारी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की सैलरी पहले बढ़नी चाहिए.

पंजाब में सरकार बनाने के बाद से कांग्रेस लगातार पंजाब की खस्ता माली हालत की दुहाई देते हुए जनता से किए अपने वायदों को लगातार टालने में लगी है. लेकिन अब जिस तरह से पहले सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने सलाहकारों का वेतन 3 गुना से ज्यादा बढ़ा दिया और अब कांग्रेस के विधायक भी अपनी सैलरी 3 से 4 लाख रुपए प्रति माह तक बढ़ाने की मांग कर रहे हैं तो ऐसे में पंजाब सरकार की कथनी और करनी पर सवाल उठना लाजिमी है. और सवाल उठ रहा है कि क्या 10 साल बाद पंजाब की सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी की सरकार को पहले अपनी फिक्र है या फिर पंजाब की आम जनता की.

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