ब्रह्मांड के ऐसे राज जिनका वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है जवाब

इस बात में कोई शक नहीं है कि अंतरिक्ष अनसुलझी पहेलियों से भरा हुआ है। इंसान अभी तक केवल चन्द्रमा तक ही पहुंच सका है और हमारा केवल एक प्रोब सोलर सिस्टम से बाहर जाने में सफल रहा है। अभी तक हमारे वैज्ञानिक जो भी अंतरिक्ष के बारे में पता लगा सके हैं वह सिर्फ इन प्रोब्स और टैलीस्कोप्स की सहायता से ही है पर अंतरिक्ष अभी भी अनगिनत अनसुलझे चमत्कारों से भरा हुआ है जिन्हें हमारे वैज्ञानिक अभी तक सुलझा नहीं पाए हैं और आज हम आपको अंतरिक्ष की इन्हीं कुछ अनसुलझी पहेलियों के बारे में बताएंगे।

 

ब्लैक होल्स को अंतरिक्ष का दलदल भी कहा जाता है। ये उस समय बनते हैं जब कोई तारा खुद में समा कर खत्म हो जाता है और इसमें गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि यह रोशनी तक का रुख मोड़ सकता है। हमें यह तो पता है कि ब्लैक होल काम कैसे करता है परन्तु मिस्ट्री यह है कि अभी तक इसे किसी ने नहीं देखा। वैज्ञानिक इलैक्ट्रोमैग्रेटिक रेडिएशन, लाइट या एक्स रेज की मदद से अंदाजा लगा सकते हैं परन्तु असल में यह दिखने में कैसा होगा, यह एक राज बना हुआ है।


ब्लैक होल्स की तरह विशाल वॉयड अंतरिक्ष में किसी छेद की तरह नहीं है। यह एक विशाल रिक्त स्थान है, जिसमें न तो मैटर है और न ही डार्क मैटर। यह ब्लैक होल से इसलिए भी अलग है कि रोशनी इससे आर-पार जा सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक विशाल आकार के वॉयड्स डार्क ऊर्जा से भरे हुए हैं। पूरे ब्रह्मांड में एक से अधिक वॉयड्स मौजूद हैं। पर सबसे विशाल वॉयड का डायामीटर 1.3 बिलियन प्रकाश वर्ष है।

 

जैसे वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड का 27 प्रतिशत डार्क मैटर से घिरा हुआ है, वैसे ही 68 प्रतिशत हिस्सा डार्क एनर्जी से घिरा हुआ है और बाकी का बचा 5 प्रतिशत हम अपने सामने देख और महसूस कर सकते हैं। वैज्ञानिक इसे इस तरीके से समझाते हैं कि बिगबैंग के 3,80,000 साल बाद जब हाइड्रोजन एटम्स अस्तित्व में आए तो कोस्मिक माइक्रोवेव्स और थर्मल रेडिएशन की मौजूदगी में डार्क एनर्जी और डार्क मैटर अस्तित्व में आए।

 

हमारी गैलेक्सी से 200 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर कोई चीज पूरी आकाशगंगा को अपनी तरफ खींच रही है। हम यह तो जानते हैं कि बिगबैंग के बाद यूनिवर्स फैल रहा है परन्तु हमारी आकाशगंगा जिस चीज की तरफ बढ़ रही है उसे ग्रेट एट्रैक्टर कहते हैं जिसके बारे में हम ज्यादा कुछ नहीं जानते। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि हम ग्रेट एट्रैक्टर के बारे में इसलिए ज्यादा कुछ नहीं जानते क्योंकि हमारी विशाल आकाशगंगा ही उसे समझने में रुकावट पैदा कर रही है। एक अनुमान के मुताबिक हमारी गैलेक्सी 1.4 मिलियन मील प्रति घंटा की रफ्तार से इस रहस्यमयी एट्रैक्टर की तरफ बढ़ रही है।


डार्क मैटर अभी भी एक रहस्य बना हुआ है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि डार्क मैटर एक पैरलर यूनिवर्स है जो हमें दिखाई तो नहीं देता पर मौजूद है। कोस्मोलॉजिस्ट का मानना है कि पूरे यूनिवर्स का 27 प्रतिशत डाक मैटर से घिरा हुआ है। पर किसी के पास अभी तक पुख्ता सबूत के साथ डार्क मैटर की पूरी व्याख्या नहीं है।

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