भारतमाला प्रोजेक्ट: ग्रोथ तेज होगी, बॉर्डर तक बिछेगा सड़कों का जाल

चार बड़े महानगरों के बीच स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के तहत सड़कों का जाल बुनने के बाद अब सरकार ने देश की सीमाओं और बंदरगाहों को भी नेशनल हाईवे से जोड़ने के लिए एक अति महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दे दी. देश की आर्थिक रफ्तार को और तेज करने के लिए नेशनल हाईवे से देश की सीमाओं और कोस्टल एरिया को जोड़ा जाएगा. सरकार ने इस परियोजना को ‘भारतमाला’ नाम दिया है.

 

इस परियोजना का काम सात फेज में पूरा किया जाएगा. इसमें देशभर में कुल 34,800 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया जाएगा. इस योजना को परवान चढ़ाने में कुल 5,35,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. मंगलवार को हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में इस महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी गई. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात की जानकारी दी.

 

 

ऐसे चलेगा सात चरणों में काम

 

इकोनॉमिक कॉरिडोर                                   – 9000 किलोमीटर

 

इंटर कॉरिडोर एंड फीडर रूट                          – 6000 किलोमीटर

 

नेशनल कॉरिडोर्स इफिशिएंसी इंम्प्रूवमेंट       – 5000 किलोमीटर

 

बॉर्डर रोड एंड इंटरनेशनल कनेक्टिविटी         – 2000 किलोमीटर

 

कोस्टल रोड एंड पोर्ट कनेक्टिविटी                 – 2000 किलोमीटर

 

ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे                                  – 800 किलोमीटर

 

बैलेंस NHDP वर्क्स                                       – 10000 किलोमीटर

 

धार्मिक-पर्यटन स्थलों की यात्रा होगी सुगम

 

‘भारतमाला’ प्रोजेक्ट के लिए 2.09 लाख करोड़ रुपए मार्केट, 1.06 लाख करोड़ प्राइवेट इन्वेस्टमेंट और 2.19 लाख करोड़ CRF/TOT/टोल के जरिए आएगा. इस परियोजना में सिर्फ नई सड़कों का ही निर्माण नहीं होगा, बल्कि जो योजनाएं अधूरी पड़ी हैं, उनको भी पूरा किया जाएगा. ‘भारतमाला’ योजना में पिछड़े इलाकों, धार्मिक स्थानों के साथ-साथ पर्यटन स्थलों तक भी सड़कों का जाल बिछाया जाएगा. चार धाम की यात्रा को सुगम बनाने के लिए केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की कनेक्टिविटी को भी और बेहतर किया जाएगा.

 

83 हजार किलोमीटर लंबी सड़कों का जाल बिछेगा

 

‘भारतमाला’ प्रोजेक्ट में अधूरी पड़ी सड़कों का काम भी किया जाएगा. इस तरह पूरे देश में कुल 83 हजार किलोमीटर सड़कों का जाल बिछाया जाएगा. इस योजना पर खर्च होने वाली अनुमानित राशि 7 लाख करोड़ है. जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और राजस्थान में सड़कें बनाई जाएंगी. कुल 17 राज्यों की तटीय और सीमा क्षेत्र में नेशनल हाईवे बनाए जाएंगे. इस योजना के पहले चरण में ही साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को अगले पांच साल में यानि 2022 तक पूरा किया जाना है. इसमें कुल 44 इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाए जाएंगे. 

 

40 किलोमीटर सड़क रोजाना बनाना है चुनौती

 

83 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें बनाने के लिए सरकार को रोजाना 46 किलोमीटर सड़कें बनानी होंगी. अभी सिर्फ 30 किलोमीटर सड़क का ही निर्माण रोज हो रहा है. हालांकि सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि सड़क बनाने की रफ्तार इस साल ही 40 किलोमीटर प्रतिदिन कर दी जाएगी.

 

दूरी बढ़ेगी पर समय बचेगा

 

इस योजना में देश के प्रमुख शहरों तक पहुंचने का समय कम किया जाएगा. जैसे लुधियाना से अजमेर की मौजूदा नेशनल हाईवे से दूरी 627 किलोमीटर है, जिसे 10 घंटे में पूरा किया जा रहा है. ‘भारतमाला’ प्रोजेक्ट में इस हाईवे की दूरी तकरीबन 100 किलोमीटर बढ़ाकर 721 किलोमीटर किया जाएगा, लेकिन इस दूरी को पूरा करने में पहले के मुकाबले 45 मिनट कम लगेंगे. नए रूट में 9 घंटे 15 मिनट में ही 721 किलोमीटर की दूरी को पूरा किया जा सकेगा. इस प्रकार मुंबई से कोचीन नेशनल हाईवे की दूरी 1346 किलोमीटर है जिसे पूरा करने में 29 घंटे लगते हैं. नए रूट में यह दूरी बढ़कर 1537 किलोमीटर हो जाएगी, लेकिन इसे महज 24 घंटे में पूरा किया जा सकेगा.

 

पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर बनेगा सड़कों का जाल

 

‘भारतमाला’ प्रोजेक्ट में टूरिज्म और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बढ़ाने के लिए 2100 किलोमीटर कोस्टल रोड बनाई जाएंगी. इसी प्रकार पूर्वी और पश्चिमी बॉर्डर पर 3300 किलोमीटर लंबी सड़के बनाई जाएंगी.  इसमें 1000 किलोमीटर सड़क का निर्माण पहले फेज में पूरा किया जाएगा. पोर्ट कनेक्टिविटी के लिए 2000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाएगा. पोर्ट और कोस्टल रोड का निर्माण ‘सागरमाला’ के अंतर्गत होगा.

 

ये थी स्वर्णिम चतुर्भुज योजना

 

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने महत्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भुज योजना का ऐलान किया था. इसमें देश के चार बड़े महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को आपस में जोड़ते हुए 5,846 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा रहा है. वाजपेयी ने इस योजना की आधिकारिक घोषणा 24 अक्टूबर 1998 को की थी. इसका निर्माण कार्य 2001 में शुरू हो सका. अब तक स्वर्णिम चतुर्भुज योजना भारत की सबसे बड़ी सड़क परियोजना थी. यह भारत के 13 राज्यों से होकर गुजरती है.

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