भारत में मानसून की सटीक भविष्यवाणी की नई प्रणाली विकसित

भारत में मानसून के आने और लौटने की सटीक जानकारी देने के लिए वैज्ञानिकों ने नई प्रणाली विकसित की है। भारत में हर साल मानसून से लाखों लोगों पर प्रभाव पड़ता है। अमेरिका के फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने वर्षा दर का प्रयोग कर भारत में मानसून की अवधि बताने की विधि विकसित की है।

 

वर्षों से वैज्ञानिक मानसून की सटीक अवधि बताने वाले मॉडल तैयार करने को संघर्षरत थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि मौजूदा समय में ऐसी कोई प्रणाली नहीं है जो इस ऋतु के मानदंड को विश्वसनीय रूप से बता सके। फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर वासु मिश्रा ने बताया कि मौजूदा में मानसून की भविष्यवाणी और मॉनिटरिंग प्रणाली एक स्थान खासकर केरल में मानसून आने पर केंद्रित है। इसी के आधार पर अन्य हिस्सों के लिए मानसून तय किया जाता है।

 

उन्होंने कहा, 'हम खास स्थानों पर गए हैं और हमने पूरे देश का भ्रमण किया। इसके बाद हमने मानसून के आने और जाने का सटीक तरीके से पता लगाया है।' 90 फीसदी से अधिक बारिश भी शोधकर्ताओं ने कहा कि देश के कुछ हिस्से में मानसून में बारिश कुल वार्षिक वर्षा अनुमान से 90 फीसदी ज्यादा होती है। अभी तक क्षेत्रीय मौसम विभाग मानसून का आगमन तय करने के लिए अपने तदर्थ मानदंड पर निर्भर करते हैं जो अक्सर विरोधाभासी दावे करते हैं। अब उन्नत प्रणाली का इस्तेमाल कर अधिकारी और शोधकर्ता देश में मानसून का आकलन कर सकेंगे।

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