मालेगांव ब्लास्ट: कर्नल प्रसाद पुरोहित को जमानत, 9 साल बाद होंगे रिहा

मुंबई . मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी कर्नल प्रसाद पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 साल से जेल में बंद कर्नल पुरोहित की जमानत मंजूर कर दी है। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुरोहित की जमानत याचिका ठुकरा दी थी। इस महीने 17 अगस्त को मामले की सुनवाई पूरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि NIA ने कर्नल पुरोहित की जमानत का विरोध किया था। इस मामले में दूसरी आरोपी साध्वी प्रज्ञा को भी जमानत मिली हुई है। पुरोहित को मिली जमानत का एक आधार यह भी बना।

जस्टिस आर के अग्रवाल और ए. एम साप्रे की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। पुरोहित की ओर से मशहूर वकील हरीश साल्वे ने पक्ष रखा था जबकि नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी पुरोहित को बेल दिए जाने का विरोध कर रही थी। एजेंसी का कहना था कि पुरोहित के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा जाए। 

साल्वे ने कहा कि न्याय के हित में पुरोहित को बेल दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब इस केस में एक अन्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बेल मिल सकती है तो पुरोहित को क्यों नहीं? साल्वे ने एनआईए पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। साल्वे ने यह भी कहा कि कर्नल पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है और अगर धमाके के आरोप हट जाते हैं तो अधिकतम सजा सात साल हो सकती है जबकि वह 9 साल से जेल में हैं। 

पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उन्हें राजनीतिक क्रॉसफायर का शिकार बनाया गया है। पुरोहित ने ATS पर उन्हें गलत तरीके से फंसाने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने गवाहों के बयानों पर भी सवाल उठाए हैं। बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक जिले में सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए बम विस्फोट मंल 7 लोग मारे गए थे। 

अभी तक क्या हुआ

जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस मोहन एम शांतानागौदर की बेंच ने पुरोहित की याचिका पर सुनवाई की। इससे पहले, 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि वह 17 अगस्त को पुरोहित की जमानत याचिका और प्रज्ञा की जमानत खारिज करने पर विचार करेगी। कोर्ट ने कहा था कि इन मुद्दों पर विस्तार से विचार करने की जरूरत है।

इससे पहले, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुरोहित की जमानत याचिका ठुकरा दी थी। पुरोहित बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए बेल की दरख्वास्त लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। वहीं, धमाके के पीड़ितों में से एक के पिता निसार अहमद हाजी सैयद बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत देने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। उनका आरोप है कि साध्वी प्रज्ञा 'ताकतवर शख्स' हैं और वह इस मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से साध्वी को जमानत देने के हाई कोर्ट के 25 अप्रैल के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।

एनआईए ने पुरोहित के मामले में दाखिल जवाब में कहा था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जबकि ठाकुर के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। शीर्ष अदालत ने 5 मई को पुरोहित की जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा था।

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