मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के पेड़-प्रत्यारोपण का रियलिटी चेक
पर्यावरणप्रेमियों और कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद MMRCL ने फैसला लिया कि वे सभी पेड़ नहीं काटेंगे, बल्कि कुछ पेड़ों का प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) भी कराएंगे.
जितने पेड़ों का प्रत्यारोपण हुआ, आधे सूख चुकेरास्ते में तैनात है पुलिस बल, जाना भी मुश्किल
मुंबई के आरे वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर विवाद के बीच आजतक ने मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (MMRCL) द्वारा किए गए पेड़ों के प्रत्यारोपण का रियलिटी चेक किया. मेट्रो 3 प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए करीब तीन हजार पेड़ काटे जाने थे. हालांकि, पर्यावरणप्रेमियों और कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद MMRCL ने फैसला लिया कि वे सभी पेड़ नहीं काटेंगे, बल्कि कुछ पेड़ों का प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) भी कराएंगे.
प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में पेड़ों को काट देने की बजाय एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जाना था. जहां मेट्रो 3 का कार शेड बन रहा है, वहां पर करीब 2100 पेड़ काटे गए और अब तक 1800 पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जा चुका है. इन पेड़ों को मुंबई की अलग-अलग जगहों पर प्रत्यारोपित किया गया है, खासकर आरे और संजय गांधी नेशनल पार्क (SGNP) इलाके में. हम प्रत्यारोपित किए गए इन पेड़ों का जायजा लेने पहुंचे.
प्रत्यारोपण की प्रक्रिया के दौरान MMRCL ने यह आश्वासन दिया था कि पेड़ों की पर्याप्त देखभाल की जाएगी और प्रत्यारोपण की समुचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. हम आरे के अंदरूनी इलाके में गए. पहली बात तो जहां पेड़ों का प्रत्यारोपण हुआ है, वहां जाना ही बेहद कठिन साबित हो रहा था. वहां हर तरफ भारी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं. हम किसी तरह पुलिस से बचते हुए वहां पहुंचने में सफल हुए, जहां पेड़ों का प्रत्यारोपण हुआ है.
पेड़ों पर लिखा है उनका नंबर
पेड़ों पर लेमिनेटेड कागज पर उनका नंबर और वे कहां से लाए गए हैं, यह लिखा हुआ है. कुछ पेड़ तो ठीक-ठाक हालत में हैं, लेकिन उनमें से तमाम पेड़ों की हालत खराब है और वे सूख चुके हैं. कुछ पेड़ों के बस तने बाकी बचे हैं. सिर्फ आरे में ही नहीं, बल्कि मुंबई के कई इलाकों में इन पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया है. कार्यकर्ताओं का दावा है कि जिन पेड़ों का प्रत्यारोपण किया गया है, वास्तव में उनको मार दिया गया है.
हाईकोर्ट ने गठित की है निगरानी समिति
बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रत्यारोपित किए गए पेड़ों की निगरानी के लिए एक निगरानी समिति गठित की है. जोरू भथेना भी इस समिति के सदस्य हैं. यह समिति नियमित रूप से इन पेड़ों की पड़ताल करती है. जोरू बाथेना ने कहा कि जहां पर मेट्रो का निर्माण कार्य हो रहा है, वहां से 1800 पेड़ों को हटाकर मुंबई के विभिन्न इलाकों में प्रत्यारोपित किया गया है. हमने अंतिम बार 800 पेड़ों की जांच की तो पाया कि पेड़ पहले से सूख चुके हैं. सिर्फ तने बचे रह गए हैं. जितने पेड़ों का प्रत्यारोपण किया गया है, उनमें से 50 फीसदी सूख चुके हैं. बड़े पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की बाकायदा प्रक्रिया होती है, लेकिन उस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.
एमएमआरसीएल ने टिप्पणी करने से किया इनकार
जोरू भथेना का कहना है कि मुख्य चिंता यह है कि जिन पेड़ों की हम बात कर रहे हैं, वे मेट्रो 3 प्रोजेक्ट निर्माण से जुड़े हैं. मेट्रो के और भी प्रोजेक्ट विचाराधीन हैं. अनुमान है कि इन सभी मेट्रो प्रोजेक्ट पर कम से कम दस हजार पेड़ों की बलि चढ़ाई जाएगी. इस बारे में MMRCL के प्रवक्ता ने कहा कि चूंकि यह मामला में कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए वे पेड़ों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.