मोदी की रूस यात्रा: चीन के OBOR को इस तरह चुनौती देगा भारत, सुदूर मध्य एशिया तक कनेक्टिविटी की तैयारी
अगले महीने की शुरुआत में पीएम नरेंद्र मोदी रूस और कजाकस्तान के दौरे पर जाएंगे। वह शंघाई कॉपरेशन ऑर्गनाइजेशन समिट और कुछ दूसरी अहम बैठकों में हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि भारत की इस पहल से इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) और अन्य कनेक्टिविटी माध्यमों को शुरू करने की कोशिशों को रफ्तार मिलेगी। रीजनल कनेक्टिविटी से जुड़े इन प्रॉजेक्ट्स पर भारत की पैनी नजर है। इसकी एक वजह चीन द्वारा उसके महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट वन रोड (OBOR) को लेकर की जा रही कोशिशें भी हैं। चीन अपनी इस पहल के जरिए यूरोप के साथ स्मूथ कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने की कोशिश में है। वहीं, भारत अब सुदूर मध्य एशिया और यूरेशियाई क्षेत्रों तक अपनी बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने में जुट गया है।
बता दें कि मोदी रूस में सालाना समिट में हिस्सा लेंगे और सेंट पीटर्सबर्ग के इंटरनैशनल इकॉनमिक फोरम के चीफ गेस्ट भी बनेंगे। एक जून को मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन सेंट पीटर्सबर्ग में एक मोटर रैली को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इसका मकसद INSTC रूट के तहत भारत और रूस की कनेक्टिविटी का प्रदर्शन है। एक बार INSTC के पूरी तरह शुरू होने के बाद ईरान से होते हुए मुंबई और सेंट पीटर्सबर्ग के बीच बेहतर रोड कनेक्टिविटी सुनिश्चित हो सकेगी। इसके अलावा, इस क्षेत्र की अनछुई आर्थिक संभावनाएं भी सामने आ सकेंगी। INSTC प्रॉजेक्ट में तेजी लाने के अलावा भारत की यूरेशियाई (यूरोप और एशिया) और सेंट्रल एशियाई क्षेत्रों से कनेक्टिविटी के लिए ज्यादा व्यापक योजनाएं हैं। OBOR को लेकर चीन की कोशिशों के बीच भारत की इस रणनीति की अहमियत काफी बढ़ जाती है।
एक स्टडी के मुताबिक, INSTC को ईरान के बांदर अब्बास पोर्ट के जरिए चाहबार पोर्ट से जोड़ा जा सकता है। ईरान के चाहबार पोर्ट को विकसित करने में भारत भी मदद कर रहा है। भारत INSTC को पांच मध्य एशियाई और यूरेशियन देशों के कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट्स से भी जोड़ना चाहता है। किर्गिस्तान में भारत के राजदूत रहे पी स्टोबदान ने कहा, 'INSTC अब हकीकत में तब्दील हो रहा है। 2016 में लॉन्च हुआ चाहबार प्रॉजेक्ट INSTC से जुड़ेगा। भारत चाहबार कनेक्टिविटी कॉरिडोर को INSTC या ईरान तुर्कमेनिस्तान-कजाकस्तान रेल लाइन, ईरान-उज्बेकिस्तान-कजाकस्तान लिंक और ट्रांस अफगान रेल लाइन के जरिए मध्य एशिया से जोड़ने की संभावनाओं को तलाश कर रहा है।' भारत अफगानिस्तान में मजारी शरीफ और हेरात के बीच 700 किमी लंबे रेल लिंक के लिए भी फंड दे सकता है। इसका मकसद सेंट्रल एशिया को चाहबार से जोड़ना है। स्टोबदान के मुताबिक, इसका खर्च 2 बिलियन डॉलर से भी कम आएगा। उजबेकिस्तान रेलवे के पास इस लिंक को डिवेलप करने की क्षमता है।
एक बेहतर रोड ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी के अभाव का गंभीर असर यूरेशियाई क्षेत्र से व्यापार की संभावनाओं पर पड़ रहा है। फिलहाल भारत और रूस के बीच माल का परिवहन अधिकतर समुद्री रास्ते रॉटरडैम से सेंट पीटर्सबर्ग के जरिए होता है। जहां तक सेंट्रल एशियाई क्षेत्र से व्यापार का सवाल है, सामान की आवाजाही का रास्ता चीन, यूरोप और ईरान से गुजरता है। चीन और यूरोप से गुजरने वाला रूट बेहद लंबा और खर्चीला है। इसलिए माल की ढुलाई के लिए एक ऐसे रास्ते की जरूरत महसूस की गई, जो छोटा, सस्ता और तेज हो।
भारत, ईरान और रूस ने साल 2000 में INSTC समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते का मकसद ईरान, कैस्पियन सी और अस्त्राखान के रास्ते से रूस और यूरेशिया के नजदीकी देशों के साथ व्यापार करना था। ट्रांसपोर्ट के इस रूट में कम खर्च और डिलिवरी टाइम की वजह से भारतीय व्यापारियों को फायदा मिलेगा। स्टडीज से पता चलता है कि इस रूट की वजह से कंटेनर्स की डिलिवरी में लगने वाले वक्त और खर्च में तीस से चालीस प्रतिशत की कमी आएगी।