रघुराम राजन को इन कारणों से मिल सकता है नोबेल

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन आज घोषित होने वाले इकोनॉमिक्‍स के नोबेल पुरस्‍कार की रेस में हैं. लिस्‍ट तैयार करने वाली रिसर्च कंपनी क्‍लैरिवेट एनालिटिक्‍स के अनुसार, कॉरपोरेट फाइनेंस से जु़ड़े निर्णयों के दायरे को बढ़ाने में अनोखे योगदान के लिए राजन के नाम पर विचार किया जा रहा है. राजन इस समय यूनिवसिर्टी ऑफ शिकागो के बूथ स्‍कूल ऑफ बिजनेस में कैथरीन डूसक मिलर डिस्टिंग्‍यूज्‍ड सर्विस प्रोफेसर हैं.

सबसे कम उम्र में आईएमएफ के चीफ इकोनॉमिस्‍ट
महज 40 साल की उम्र में आईएमएफ के चीफ इकोनॉमिस्‍ट बनने वाले राजन पहले गैर-पश्चिमी और सबसे युवा व्‍यक्ति थे. इसके तीन साल बाद 2005 में वे दुनियाभर में चर्चित रहे, जब उन्‍होंने अमेरिका में इकोनॉमिस्‍ट और बैंकर्स की वार्षिक मीटिंग में 2008 के विश्‍वव्‍यापी वित्‍तीय संकट के आने की घोषणा 3 साल पहले ही कर दी थी.

रघुराम राजन ने अपने पेपर में यह तर्क दिया था कि फाइनैंशल मार्केट विकसित होकर अधिक जटिल और कम सुरक्षित हो गए हैं. उन्होंने कहा था कि डेरिवेटिव्स जैसे क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप्स रिस्की हैं. तीन साल बादल 2008 में क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप्स की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था गिर गई.

2013 में बने आरबीआई गवर्नर
2013 में राजन को तत्‍कालीन मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार ने आरबीआई गवर्नर नियुक्‍त किया. वैसे आरबीआई गवर्नर के रूप में राजन अभी करते रहना चाहते थे, लेकिन कुछ विवादों के कारण ऐसा नहीं हो पाया और 2016 में वे फिर प्रोफेसर की नौकरी में अमेरिका लौट गए.

‘आई डू व्‍हाट आई डू’
हाल ही में राजन ‘आई डू व्‍हाट आई डू’ नामक पुस्‍तक के लिए चर्चा में रहे. इस पुस्‍तक में उन्‍होंने मोदी सरकार के नोटबंदी संबंधी निर्णय की आलोचना की है. पुस्‍तक के माध्‍यम से उन्‍होंने आरबीआई गवर्नर के रूप में अपने अनुभवों को शेयर किया है. इससे पहले 2011 में राजन ने ‘फॉल्ट लाइंस’ नामक पुस्‍तक लिखी थी. इसमें उन्‍होंने बताया था कि किस तरह वित्‍तीय व्‍यवस्‍था की त्रुटियों की वजह से वर्ल्‍ड इकोनॉमी पर संकट मंडरा रहा है.

आईआईटी दिल्‍ली से स्‍नातक हैं राजन
राजन ने आईआईटी दिल्‍ली से स्‍नातक और आईआईएम अहमदाबाद से पोस्‍टग्रेजुएट की पढ़ाई की है. 2013 में रुपये के संकट से निपटने के लिए उन्‍हें ब्रिटिश मैगजीन सेंट्रल बैंकिंग्‍स ने सेंट्रल बैंकर ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया था. वे राजन स्‍टॉकहोम स्‍कूल ऑफ इकोनॉमिक्‍स, केलॉग स्‍कूल ऑफ मैनेजमेंट और एमआईटी स्‍लॉअन स्‍कूल ऑफ मैनेजमेंट के भी विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं

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