राम रहीम पर फैसला: पंजाब में सुरक्षा को लेकर ‘दोहरी चिंता’

चंडीगढ़ . रेप केस में डेरा सच्चा सौदा के चीफ गुरमीत राम रहीम पर आने वाले फैसले के मद्देनजर पंजाब और हरियाणा में हाई अलर्ट है। हरियाणा में पुलिस और प्रशासन को डर है कि अगर फैसला बाबा के खिलाफ आता है तो डेरा समर्थक हिंसा पर उतारू हो सकते हैं, लेकिन पंजाब के लिए स्थिति कुछ अलग है। फैसला चाहे राम रहीम के हक में आए या उनके खिलाफ, दोनों स्थितियों में पंजाब में हिंसा की आशंका जताई जा रही है। यही वजह है कि पंजाब में भी सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं।

पंजाब, हरियाणा में तनाव क्यों?

सरकार को डर है कि अगर अदालत का आदेश डेरा चीफ के खिलाफ जाता है तो पंजाब और हरियाणा में डेरा प्रेमी हिंसा पर उतर सकते हैं। असल में इन दोनों राज्यों में बड़ी तादाद में डेरा समर्थक रहते हैं। हजारों की तादाद में वे पंचकूला में डेरा के हेडक्वॉर्टर और दोनों राज्यों के विभिन्न डेरों में जुटे हुए हैं। इन दो राज्यों से बाहर भी डेरा का काफी प्रभाव है। इनमें से ज्यादातर दलित हैं। डेरा का दावा है कि दुनिया में उसे छह करोड़ से ज्यादा समर्थक हैं।

पंजाब को दोहरी चिंता क्यो?

पंजाब में चिंता इसलिए भी है क्योंकि इससे पहले 2007 में सिख और डेरा प्रेमियों के बीच बड़े पैमाने पर हिंसा हो चुकी है। पंजाब की चिंता इसलिए भी है कि फैसला अगर डेरा चीफ के हक में रहा तो सिख उग्र हो सकते हैं। फैसला राम रहीम के खिलाफ गया तो पुलिस के सामने डेरा समर्थकों को संभालने की चुनौती होगी और अगर फैसला हक में गया तो पुलिस सिखों को शांत बनाए रखना होगा।

डेरा और सिखों का विवाद क्या है?

डेरा सच्चा सौदा से सिख संस्थानों की नाराजगी इसलिए है क्योंकि बड़ी तादाद में सिखों को डेरा ने उनसे अलग कर दिया है। डेरा के सपॉर्ट का आधार दलित सिख हैं जिनके साथ उच्च जाति के सिख भेदभाव करते रहे हैं। समर्थकों की इतनी बड़ी तादाद का इस्तेमाल डेरा ने राजनीति में भी खूब किया। एक अनुमान के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में डेरा से जुड़े छह लाख वोट हैं। कहा जाता है कि डेरा चीफ अगर एक पार्टी का समर्थन करने का ऐलान कर देते हैं तो सभी समर्थक उसी पार्टी को वोट देते हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरा ने बीजेपी का समर्थन किया था।

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