विजय माल्या ही नहीं, प्रत्यर्पण कानून की मजबूरी का फायदा उठाकर मौज काट रहे ये 9 भगोड़े
भारत सरकार के 'भगोड़ा' घोषित किए गए विजय माल्या को तमाम कानूनी दाव-पेंच के बाद आखिरकार लंदन पुलिस ने गिरफ्तार किया. हालांकि, अरेस्ट होने के कुछ देर बाद ही उन्हें जमानत भी मिल गई. लंबे समय से फरार चल रहे माल्या को पकड़कर भारत लाने के लिए सरकार के सामने एक कानून हमेशा से अड़ंगा फंसाता रहा है. ये कानून है ब्रिटेन और भारत के बीच का प्रत्यर्पण करार.
पिछले साल ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे की भारत यात्रा के दौरान, भारत ने ब्रिटेन को 57 भगोड़े की लिस्ट सौंपी थी. ब्रिटेन ने भी ऐसे 17 भगोड़ों की लिस्ट दी थी, जो ब्रिटेन की अदालत में दोषी हैं. दोनों मुल्कों के बीच प्रत्यर्पण की संधि 1993 में हो गई थी, पर समझौते के इतने दिनों बाद भी ब्रिटेन ने किसी भी भगोड़े को भारत को नहीं सौंपा है. इसके उलट भारत अब तक दो लोगों को ब्रिटेन को सौंप चुका है.
उस वक्त ब्रिटिश पीएम को भारत ने जो लिस्ट सौंपी थी, उसमें शराब कारोबारी विजय माल्या और पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी के साथ-साथ गुजरात ब्लास्ट, पंजाब सिख दंगा, डिफेंस डील, हत्या और यौन उत्पीड़न से जुड़े आरोपी हैं.
नरेंद्र मोदी ऐसी सूची सौंपने वाले पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं. इससे पहले भी ऐसा किया जा चुका है. फिर भी नतीजा सिफर ही रहा है. आइए आपको दिखाते हैं उन मोस्टवांटेड लोगों की लिस्ट जिनकी भारत को शिद्दत से तलाश है–
1- रवि शंकरन- नेवी का पूर्व लेफ्टिनेंट कंमाडर
आरोप: साल 2005 में नौसेना की खुफिया जानकारी कंपनियों को लीक की.
अभी: जमानत पर, मामला ब्रिटिश अदालत में 2006 से लंबित.
2- विजय माल्या- शराब कारोबारी
आरोप: भारतीय बैंकों का 9 हजार करोड़ से भी ज्यादा रकम का कर्ज नहीं चुकाया.
अभी: भारतीय अदालतों में मामले की सुनवाई चल रही है. भारतीय अदालत से भगोड़ा घोषित.
3- ललित मोदी – पूर्व आईपीएल कमिश्नर
आरोप: बीसीसीआई को वित्तीय नुकसान पहुंचाया.
अभी: 2009 से ब्रिटेन में हैं. दोनो देशों की अदालतों में मामला चल रहा है.
4- टाइगर हनीफ- गैंगस्टर
आरोप: 1993 के सूरत ब्लास्ट में शामिल
अभी: मामला ब्रिटिश मानवाधिकार आयोग में लंबित
5- संजीव चावला- क्रिकेट बुकी
आरोप: साल 2000 में मैच फिक्सिंग के आरोप में फंसे दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर हैंसी क्रोन्ये से करोड़ों रुपए की लेनदेन की.
अभी: लंदन की एक निचली अदालत में प्रत्यर्पण का मामला चल रहा है.
6- लॉर्ड सुधीर चौधरी- डिफेंस डीलर
आरोप: 2006 में इजरायल से हुई बराक डील सहित कई सौदों में दलाली लेने का आरोप.
अभी: ब्रिटेन की अदालत में सुनवाई चल रही है.
7- नदीम सैफी- म्यूजिक डायरेक्टर
आरोप: टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या का षड्यंत्रकारी. 12 अगस्त 1997 को कुमार की हत्या मुंबई में हुई थी.
अभी: भारत की सरकार ब्रिटेन की अदालत में प्रत्यर्पण का केस हार चुकी है.
8- रेमंड वार्ले- बाल अघिकार कार्यकर्ता
आरोप: सैकड़ों बच्चों के साथ यौन शोषण का अपराध.
अभी: उम्र 68 साल. मेडिकल बैकग्राउंड की वजह से प्रत्यर्पण करने में परेशानी
9- क्रिस्टीन ब्रेडो स्पलिड- बिचौलिया
आरोप: अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील में बिचौलिए क्रिश्चियन के लिये दिल्ली में लॉबी की.
अभी: भारतीय सरकार की अपील लंबित.
इसके अलावा खालिस्तान समर्थक संगठन ब्रिटेन से चल रहे हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों की इनकी तलाश है.
ऐसे होती है लंदन की अदालतों में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के एक सीनियर वकील रविशंकर कुमार कहते हैं कि ब्रिटेन की अदालत में केस की सुनवाई बहुत जल्दी होती है. आपराधिक मानहानि जैसे मामले में थोड़ा वक्त जरूर लगता है. ज्यादातर देरी दोनों तरफ के सरकारी तंत्र के देर से जागने के कारण होती है.
ईडी के एक एसीपी रैंक के अधिकारी का कहना है कि ब्रिटेन से प्रत्यर्पण कराना आसान नहीं है. चाहे वो सरकार के स्तर से हो या अदालत के स्तर से. उनका कहना है कि कई कारण हैं जिनसे प्रत्यर्पण में दिक्कतें होती हैं. उनमें कुछ प्रमुख कारण हैं:-
1- ब्रिटिश मानवाधिकार आयोग दुनिया के और देशों के मानवाधिकार आयोग से ज्यादा सख्त और मानवीय पहलु को समझने वाला माना जाता है.
2- पूर्व के कई मामले ऐसे थे जिनमें उस समय की राजनीतिक परिस्थितियां इजाजत नहीं दे रही थी. दूसरे दलों की सरकार सत्ता में आती है तब तक काफी देर हो जाती है. फिर कानूनी पेंच में प्रत्यर्पण नहीं हो पाता.
3- कई ऐसे केस हैं आरोपी की उम्र ज्यादा होने का बहाना बनाया जाता है.
4- आरोपी का खराब मेडिकल बैकग्राउंड होना भी जिम्मेदार होता है.
5- भारतीय जेलों की दशा का हवाला देकर भी आरोपी बच निकलते हैं.