हरियाणा विस चुनावः इस बार राजनीति में और कम हो गईं महिलाएं, पार्टियों ने नहीं जताया भरोसा

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के रण में इस बार महिला नेत्रियों की संख्या और भी कम हो गई, क्योंकि पार्टियों ने उन पर भरोसा ही नहीं जताया। हरियाणा की महिलाओं ने राजनीति के साथ ही हर क्षेत्र में अपना झंडा बुलंद किया है। अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला करनाल से थीं। खेल के क्षेत्र में फौगाट बहनों ने प्रदेश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया। एवरेस्ट फतह करने में ममता सौदा और अनीता कुंडू का कोई सानी नहीं। भारतीय महिला हॉकी टीम की कैप्टन रही सुरेंद्र कौर भी हरियाणवी हैं।
देश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी अंबाला में जन्मी थीं। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी अंबाला की बेटी थी। कोई भी क्षेत्र हो प्रदेश की महिलाएं वर्तमान में कहीं पीछे नहीं हैं, हर जगह अपना परचम लहरा रही हैं, लेकिन राजनीतिक के दंगल में उनका दखल कम होता जा रहा है। सभी प्रमुख दल महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देश में देने की वकालत तो करते हैं, मगर अमल में कोई नहीं लाता। न लोकसभा, न ही विधानसभा चुनाव में महिलाओं को टिकट वितरण में उनका पूरा हक मिलता है।

हरियाणा के वर्तमान विधानसभा चुनाव को लें तो 2014 की तुलना भाजपा, कांग्रेस और इनेलो ने महिलाओं को कम टिकट दिए हैं। इस बार इनेलो ने 15, भाजपा ने 12, कांग्रेस ने 9 और जजपा ने 7 महिला उम्मीदवार मैदान में उतारी हैं। जबकि 2014 में इनेलो ने 16, भाजपा ने 15 और कांग्रेस ने दस महिला नेत्रियों को चुनावी रण में उतरने के लिए टिकट दिए थे। हरियाणा में महिलाओं को घर की दहलीज लांघने और घूंघट से बाहर निकलने की आजादी कम ही है। जिसका असर राजनीति में उनकी भागीदारी से भी साफ हो जाता है।

प्रदेश की राजनीति में कुछ स्थापित परिवारों से ही महिलाएं चुनकर आती रही हैं, बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा से 8 महिला विधायक चुनकर आई थीं, जिनमें से किसी बड़े राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाली सिर्फ प्रेमलता ही थीं। जो सर छोटू राम के नाती बीरेंद्र चौधरी की पत्नी हैं। उनके अलावा कविता जैन, संतोष यादव व संतोष सारवान ही ऐसी विधायक थी, जिन्हें प्रदेश की जनता जानती थी। पिछले चुनाव में कुल 13 महिला विधायक प्रमुख दलों से जीतकर विधानसभा पहुंची थी, इस बार देखना होगा कि कितनी महिलाएं विधानसभा की दहलीज लांघने में कामयाब होती हैं।

बंसी लाल, देवीलाल, भजन लाल के परिवार से भी महिला विधायक
हरियाणा की राजनीति में लालों के नाम से मशहूर तीनों पूर्व सीएम बंसीलाल, देवीलाल व भजन लाल के परविारों की महिलाएं भी विधानसभा पहुंची हैं। बंसी लाल की बहू किरण चौधरी तोशाम से लगातार जीतती आ रही हैं। उन्होंने अपने ससुर की राजनीतिक विरासत को संभाला हुआ है। उनके अलावा देवी लाल कुनबे की बहू नैना चौटाला व भजन लाल की बहू रेणुका बिश्नोई 2014 में पहली बार विधायक बनीं।

कांग्रेस से रहीं सबसे अधिक महिला विधायक
हरियाणा को अब तक कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 44 महिला विधायक दी हैं। 11 भाजपा से, 6 जनता दल और इनेलो, 4 जनता पार्टी, दो बार विशाल पार्टी व दो हविपा से विधायक बनीं। अब तक तीन ही महिलाएं निर्दलीय विधायक बन पाईं। इनमें 1982 में बल्लभगढ़ से शारदा रानी, 1987 में झज्जर से मेधावी और 2005 में बावल से शकुंतला भगवाड़िया निर्दलीय जीती थीं।

1972 में चंद्रावती ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल को हरा प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी थी। बाद में वह पुड्डचेरी की उपराज्यपाल भी रहीं। 2000 के विधानसभा चुनाव में किन्नर धन्नो देवी गुरुग्राम से चुनाव में उतरीं। उन्हें 1283 वोट मिले थे। चुनाव आयोग ने उन्हें महिला प्रत्याशी की श्रेणी में रखा था।

2019 में भाजपा ने इन्हें दिया टिकट
सोनीपत से मंत्री कविता जैन, कालका से विधायक लतिका शर्मा, उचाना कलां से विधायक प्रेमलता, बड़खल से विधायक सीमा त्रिखा, नरवाना से संतोष धनोदा, उकलाना से आशा खेदड़, दादरी से बबीता फौगाट, पुन्हाना से नोक्षम चौधरी, कलायत से कमलेश ढांडा, खरखौदा से मीना नरवाल, आदमपुर से सोनाली फौगाट, गन्नौर से निर्मल चौधरी।

भाजपा ने चार महिला विधायकों के टिकट काटे
भाजपा ने 2014 में जीतकर विधानसभा पहुंची चार महिला विधायकों को 2019 के चुनावी रण में उतारने से परहेज किया है। पार्टी ने अटेली से डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, पानीपत सिटी से विधायक रोहिता रेवड़ी, पटौदी से विधायक बिमला यादव व मुलाना से विधायक संतोष सारवान को जीतने वाले उ मीदवारों में फिट नहीं पाया। स्थानीय स्तर पर इनका विरोध भी हो रहा था। जिसे देखते हुए इन्हें टिकट देने से हाथ पीछे खींच लिए गए।

कांग्रेस ने अबकी बार इन पर खेला दांव
अंबाला से वेणु सिंगला अग्रवाल, नारायणगढ़ से शैली गुर्जर, सढौरा से रेणु बाला, यमुनानगर से निर्मल, नरवाना से विद्या रानी, उकलाना से बाला देवी, तोशाम से किरण चौधरी, कलानौर से शकुंतला खटक, झज्जर से गीता भुक्कल।

हजकां से जीती रेणुका कांग्रेस से नहीं उतरी मैदान में
2014 के चुनाव में हजकां बीएल के टिकट पर जीती रेणुका बिश्नोई इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं। हांसी सीट से उन्होंने जीत दर्ज की थी। हजकां का कांग्रेस में विलय हो चुका है, इसलिए उनका कांग्रेस से भी टिकट पक्का था, चूंकि पार्टी ने सभी मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है। लेकिन, कुलदीप बिश्नोई ने हांसी सीट से अपने करीबी ओमप्रकाश पंघाल को उतारा है।
इनेलो ने इस बार इन पर जताया भरोसा
मुलाना दया रानी, सढौरा से सुषमा चौधरी, लाडवा सपना बड़शामी, थानेसर कलावती सेन, नीलोखेड़ी से सोनिका गिल, समालखा प्रेमलता छोक्कर, फतेहाबाद से सुमन सिवाच, तोशाम से कमला रानी, बवानीखेड़ा से धर्मो देवी, उकलाना से ललिता टांक, रेवाड़ी से कमला शर्मा, हथीन से डॉ. रानी रावत, फरीदाबाद एनआईटी से जगजीत कौर पन्नू, अटेली नीतू यादव, नांगल चौधरी सुमन वीरेंद्र। इनेलो टिकट पर पिछली बार जीत दर्ज कर एक ही महिला विधायक नैना चौटाला बनी थीं। नैना अब इनेलो छोड़कर नई पार्टी जजपा में जा चुकी हैं।

जजपा ने पहली बार इन्हें उतारा
सढौरा कुसुम शेरवाल, लाडवा डॉ. संतोष दहिया, रतिया से मंजू बाजीगर, लोहारू से अलका आर्य, बाढ़डा से नैना चौटाला, नारनौल कमलेश सैणी, पृथला शशिबाला तेवतिया।

 

Leave a Reply